उत्तर प्रदेश सरकार ने 157 आवंटित सरकारी बंगले खाली करा लिए है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आबंटित बंगलों सहित उसने 157 सरकारी बंगले खाली कराए हैं. प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की पीठ को उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में निर्धारित अवधि से अधिक सरकारी बंगले में रहने वाले व्यक्तियों को इसमें रहने का शुल्क देना होगा.
राज्य सरकार के वकील ने कहा-‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कर रहे है पालन’
राज्य सरकार के वकील ने कहा की सरकार शीर्ष अदालत के आदेश का पालन क्र रही है. जिसके तहत सूबे की सरकार ने अभी तक 157 सरकारी आवास खली करा लिए है. इसके साथ इन बंगलों में निर्धारित अवधि से ज्यादा रहने वाले व्यक्तियों को इसका किराया देना होगा.’
पीठ ने मांगी स्पष्ट जानकारी, अगली सुनवाई 17 सितंबर को
पीठ ने राज्य सरकार के वकील से कहा कि इस संबंध में दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल किया जाए. इस हलफनामे में यह स्पष्ट जानकारी दी जाए कि कितने मकान खाली हो चुके हैं और अब तक कितना धन वसूला गया है. न्यायालय ने इसके साथ ही इस मामले को आगे सुनवाई के लिये 17 सितंबर को सूचीबद्ध कर दिया है.
क्या था मामला ?
दरअसल माननीय सुप्रीम कोर्ट ने 11 अप्रैल, 2017 को उस अर्जी पर राज्य सरकार से जवाब मांगा था जिसमे पूर्व मुख्यमंत्रियों से सरकारी आवास खाली कराने में विफल रहने वाले प्राधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के एक गैर सरकारी संगठन लोक प्रहरी की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार के संपदा निदेशक से इस संबंध में जवाब मांगा था.
इसके साथ न्यायालय ने एक अगस्त,2016 को अपने फैसले में कहा था पूर्व मुख्येमंत्रियो को अपने पद से हटने के बाद अपने सरकारी बंगले खाली कर देने चाहिए. नयायालय ने यह भी का था की अवधि से अधिक रहने वालो से व्यक्तियो से सरकार किराया भी वसूले.