CAA, NRC के बाद अब NPR से डरे लोग

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जहाँ देशभर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन (NRC) पर लोग विरोध प्रदर्शन कर रहे है वही अब बीजेपी सरकार नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर(NPR) लाने की भी कोशिश में है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए कैबिनेट से 3,941 करोड़ रुपये की मांग भी की है। खबरों की मानी जाए तो एनपीआर का मकसद यह होगा कि देश में जो भी सरकारी स्कीम है वो उसके लाभ सही व्यक्ति यानि की जरूरत मंद लोगो तक पहुंचे। इसलिए जरूरतमंद लोगो की आइडेंटिफिकेशन हो जाए।


इसका दूसरा मकसद यह है की की देश के सभी सिटीजन को एक साथ जोड़ा जा सके सभी यूनाइटेड हो। और वही सबसे अहम उदेश्ये NPR का यह है की देश की सुरक्षा में सुधार किया जा सके और आतंकवादी गतिविधियों को रोकने में सहायता प्राप्त हो सके।

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NRC का लोग पहले से ही बड़े स्तर पर विरोध कर रहे है। और अब एनपीआर का भी भय लोगो में है। बहुत से लोगो के मन में यह सवाल उठ रहे होगे की आखिर NPR देश के सभी सामान्य निवासियों का दस्तावेज है और नागरिकता अधिनियम 1955 के प्रावधानों के तहत स्थानीय, उप-जिला, जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर तैयार किया जाता है. कोई भी निवासी जो 6 महीने या उससे अधिक समय से स्थानीय क्षेत्र में निवास कर रहा है तो उसे NPR में अनिवार्य रूप से पंजीकरण करना होता है. 2010 से सरकार ने देश के नागरिकों की पहचान का डेटाबेस जमा करने के लिए इसकी शुरुआत की. इसे 2016 में सरकार ने जारी किया था।

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खबरों के मुताबिक नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर को तीन प्रोसीजर से गुजरना होगा। पहले चरण यानी अगले साल एक अप्रैल 2020 लेकर से 30 सितंबर के बीच केंद्र और राज्य सरकार के कर्मचारी घर-घर जाकर आंकड़े जुटाएंगे. वहीं दूसरे चरण 9 फरवरी से 28 फरवरी 2021 के बीच पूरा होगा. तीसरे चरण में संशोधन की प्रक्रिया 1 मार्च से 5 मार्च के बीच होने की संभावना है। अब देखना होगा की CAA , NRC से देश में जो भूचाल आया है वो कब थमेगा और लोग NPR के लिए सहयोग करेंगे या नहीं।