स्पष्टता: नीतीश ने कहा- मोदी सरकार में आगे से जेडीयू शामिल नहीं!

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nitish kumar

17वीं लोकसभा के गठन के लिए हुए आम चुनाव में भाजपा प्रचंड के साथ सरकार बना चुका है। वहीं, एनडीए की घटक दल जनता दल (यूनाईटेड) JD(U) ने साफ़ कह दिया है कि वह आने वाले वक़्त में भी मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होगी। यानी जेडीयू कोटे से कोई भी सांसद मोदी सरकार में मंत्री नहीं बनेगा।

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दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो टुक कहा है कि जेडीयू मोदी सरकार के मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं हुआ है। आने वाले समय में भी जेडीयू मंत्रिपरिषद का हिस्सा नहीं होगा, जिससे लोगों को ये लगे कि इतनी सीटों के लिए रूठे थे और इतनी संख्या में सीटें मिलने के बाद मान गए।

इस दौरान उन्होंने साफ़ कहा कि हमारी किसी से कोई शिकवा-शिकायत नहीं है। न किसी तरह का कोई ग़म है और न ही हमारी पार्टी का कोई नेता या कार्यकर्ता या समर्थक  मायूस है। उन्होंने कहा कि सरकार में शामिल होना ही सरकार में बने रहने का कोई प्रमाण नहीं है। बाहर से हमेशा समर्थन देंगे।

जेडीयू नेता नीतीश ने ये भी कहा कि भाजपा या भाजपा के नेताओं से कोई मतभेद नहीं है और 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में इसका एनडीए के मौजूदा गठबंधन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर पार्टी में आंतरिक रूप से बात की गई, लेकिन किसी भी स्तर का कोई भी नेता इस तरह की सांकेतिक भागीदारी देने के पक्ष में नहीं है।

Nitish kumar -

शायद, मंत्रिपरिषद में सांसदों को शामिल करने के मसले पर नीतीश को तवज्जों नहीं देने से वह भाजपा से ख़फा नज़र आ रहे हैं। इसीलिए तो उन्होंने यहां तक कह दिया कि ”वाजपेयी के समय में घटक दलों के साथ शुरू में ही मंत्रिपरिषद  तक पर विमर्श हो जाता था। मुख्यमंत्री ने कहा कि जेडीयू के लोकसभा में 16 व राज्यसभा में 6 सांसद है। इस तरह से जेडीयू के पास कुल 22 सीटें हैं। इस आधार पर अगर भागीदारी तय होती है तो मंत्रिपरिषद में समानुपातिक प्रतिनिधित्व मिलना चाहिए था। ऐसे विषयों पर शुरू में ही बात शुरू हो जाती है। फिल अब इन बातों का कोई मतलब नहीं है। शुरू में जो बातें होती हैं वे बातें ही फाइनल होती है। भाजपा को इस निर्णय लेना चाहिए था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो ये तो उनकी मर्ज़ी है। इसे लेकर हमें किसी तरह की कोई शिकायत नहीं है। इस दौरान उन्होंने कहा कि वाजपेयी के समय में घटक दलों के साथ शुरू में ही मंत्रिपरिषद  तक पर विमर्श हो जाता था। मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि इस बार जेडीयू सिर्फ किशनगंज सीट पर हारा है। ये उन्हीं आठ सीटों में शामिल है, जिन पर भाजपा 2014 में हारी थी”।

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