तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर खुद एक से अधिक बंगला रखने और उनके सहयोगियों पर अनधिकृत तौर पर बंगले पर कब्जा करने का आरोप लगाया है। तेजस्वी का कहना कि नियमों को ताक पर रखकर कई पूर्व मंत्रियों ने अब भी सरकारी बंगले पर कब्जा कर रखा है। आरजेडी नेता और नेता प्रतिपक्ष ने आरोप लगाया, ‘मुझे मेरे मंत्रित्वकाल में आवंटित आवास से बेदखल करने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए जा रहे हैं, जबकि सुशील कुमार मोदी ने नेता विरोधी दल रहते अपने उपमुख्यमंत्रित्व काल में आवंटित आवास 1, पोलो रोड का ही उपयोग किया।’
पटना उच्च न्यायालय तेजस्वी की याचिका को खारिज करते हुए बंगला खाली करने का आदेश पहले दे चुका है। तेजस्वी ने इस आदेश को लेकर सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की बात कही है। इस बीच, तेजस्वी की दलील पर पटना उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन बंगला देने के नियम पर प्रश्न उठाते हुए ऐसे पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस जारी किया है, जिन्हें बंगले आवंटित हैं। पूर्व मुख्यमंत्रियों में सतीश प्रसाद सिंह 33, हार्डिंग रोड, डॉ. जगन्नाथ मिश्र को 41, क्रांति मार्ग, लालू प्रसाद और राबड़ी देवी को 10, सर्कुलर रोड, जीतन राम मांझी को 12, एम. स्ट्रैंड रोड तथा नीतीश कुमार को 7, सर्कुलर रोड आवंटित है। अदालत ने स्पष्ट कहा है कि उत्तर प्रदेश में भी इस प्रकार का आदेश जारी किया गया था। यह नियम जब उत्तर प्रदेश में लागू हो सकता है, तो फिर बिहार में क्यों नहीं?
इधर, अदालत से नोटिस जारी होने के बाद भवन निर्माण विभाग द्वारा नीतीश कुमार को 7, सर्कुलर रोड वाला आवंटित बंगला मुख्य सचिव के नाम आवंटित कर दिया गया है। तेजस्वी का कहना है कि पटना उच्च न्यायालय द्वारा स्वयं संज्ञान लिए जाने के बाद आनन-फानन में 7, सर्कुलर रोड को मुख्य सचिव के नाम से आवंटित किया गया है। इस बीच, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी भी अपना बंगला (1, पोलो रोड) खाली कर अस्थायी तौर पर दूसरे बंगले में चले गए हैं। यही बंगला तेजस्वी को आवंटित किया गया है। मोदी हालांकि यह भी कहते हैं कि अगर पूर्व मुख्यमंत्री के लिए आवंटित बंगले को रद्द करने संबंधी पटना उच्च न्यायालय का फैसला आता है, तो सरकार इससे संबंधित कानून में अहम बदलाव करने को तैयार है।
उधर, राज्य के भवन निर्माण मंत्री महेश्वर हजारी कहते हैं कि तेजस्वी यादव को खुद ही 5, देशरत्न मार्ग खली कर देना चाहिए। मकान को प्रतिष्ठा का सवाल नहीं बनाया जाना चाहिए। विभाग आवश्यक कार्रवाई कर सकता है। बहरहाल, नेताओं के बीच बंगले को लेकर विवाद छिड़ गया है। देखना है कि इसके अंत तक किसे कौन बंगला छोड़ना और किसे किस बंगले में जाना पड़ता है। वैसे पूर्व स्वास्थ मंत्री और तेजस्वी के बड़े भाई तेजप्रताप भी कहते हैं कि सरकार का कानून व्यवस्था पर ध्यान नहीं है, सरकार तो अभी ‘बंगला-बंगला’ खेल रही है।