प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दौरे से ठीक पहले कुछ सामाजिक काम किये गए. उनमें से एक काम था वहाँ के रैन बसेरों में आश्रय लेकर रह रहे लोगों को कम्बल,गद्दे आदि चीज़ें बांटना. लेकिन असली कमाल तब हुआ जब मुख्यमंत्री योगी के शहर से जाते ही अधिकारियों ने गरीबों को बांटे गए कंबल, गद्दे और तकिए वापस ले लिए. घटना के सामने आने के बाद स्थानीय पार्षद ने इसका यह कहते हुए बचाव किया है कि दिए गए सामान के बेहतर रख-रखाव के लिए उसे वापस लिया गया. अबसे उन्हें हर रात कंबल और गद्दे दिए जाएंगे, ताकि वे सुरक्षित रहें.
मुख्यमंत्री के आने से ठीक पहले बदला नज़ारा
सूत्रों के मुताबिक, सीएम योगी आदित्यनाथ वाराणसी के रैन बसेरों का जायजा लेने के लिए आने वाले थे. इसे देखते हुए स्थानीय अधिकारियों ने मुख्यमंत्री के आने से एक दिन पहले गंगा तट पर मौजूद रैन बसेरों में गद्दा, कंबल और तकिया बंटवा दिया, ताकि मुख्यमंत्री से फटकार न मिले. इतना ही नहीं वहां आनन-फानन में रैन बसेरे भी बना दिए गए थे. स्थानीय लोगों ने बताया है कि मुख्यमंत्री के आने से सिर्फ एक घंटे पहले ही सबकुछ तैयार कर दिया गया था. लेकिन योगी जी गंगा तट के बजाय अलाईपुर स्थित रैन बसेरा का मौका मुआयना करने पहुंच गए. उन्होंने दशश्वमेध घाट का निरीक्षण तो किया, लेकिन वहां के रैन बसेरों में नहीं गए. उनके जाने के बाद अगली सुबह ही अधिकारियों ने कंबल और गद्दे वापस ले लिए.
अधिकारियों के इस रवैये को लेकर विवाद बढ़ गया. स्थानीय प्रशासन की इस कार्रवाई से रैन बसेरों में पनाह लेने वालों में गुस्सा है. स्थानीय लोगों ने बताया कि पिछले साल ये अस्थाई रैन बसेरे दिसंबर में ही तैयार हो गए थे, लेकिन इस बार कुछ दिनों पहले ही इसे बनाया गया. दरअसल सर्दियों के मौसम में शहर के विभिन्न हिस्सों में स्थित रैन बसेरों में दर्जनों लोग पनाह लेते हैं. इसके अलावा अस्थाई रैन बसेरे भी तैयार किए जाते हैं, जिससे लोगों को ठंड से बचाया जा सके.
पहले भी हुई है इस तरह की चापलूसी
आपको बता दें कि यह कोई पहली बार नहीं है जब अधिकारियों ने मुख्यमंत्री की यात्रा से पहले इस तरह की कार्रवाई की है. सीएम योगी आदित्यनाथ 25 मई 2017 को कुशीनगर के दौरे पर जाने वाले थे और वहां वह एक मुसहर बस्ती का मुआयना भी करने वाले थे. उनकी यात्रा से पहले बस्ती के लोगों के बीच साबुन और शैंपो वितरित किए गए थे. उन्हें मुख्यमंत्री के सामने नहाकर आने को कहा गया था. जिला प्रशासन ने मुसहर बस्ती के लोगों को साफ-सफाई का विशेष खयाल भी रखने को कहा था. इस मामले का भेद खुलने के पर भी कोई भी अधिकारी सामने आकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हुआ था.