यह है भारत के अजब-गजब गावं, जिन्हें जान कर आप भी हो जायेंगे हैरान

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आज हम आपको भारत के कुछ ऐसे गांव के बारे बताने जा रहे है जिन्हें जान कर आप हैरान हो जायेंगे. एक और जहा देश में मार धाड़, चोरी चकारी से जूझ रहा है वही देश में कई गावं ऐसे भी है जहा आज भी लोग आपस में प्यार मोहब्बत से रहते है. एक गाँव तो एसा है जहा मुस्लिम आबादी भी संस्कृत भाषा में एक दुसरे से बात करती है. आइये जानते है देश के उन गावं की कहानियाँ जो आपको दंग करके रख देंगी.

धोगडा गाँव के लोग मुफ्त में बाट देते है दूध, दही और मखन

धोगडा, गुजरात के कच्छ में बसा यह गाँव दरिया दिली की मिसाल है. यहाँ के लोग दूध या दूध से बनी चीजों को बेचते नहीं बल्कि मुफ्त में बाट देते है. जी हाँ अपने सही सुना यहाँ के लोग उन लोगों को मुफ्त में दूध दही दे देते है जिनके पास गाय या भैंसे नहीं है. यहाँ पर बसे एक पुजारी बताते है की उन्हें हर माह सात हज़ार पांसो रूपए का दूध मुफ्त में मिलता है.

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शनि-शिगनापुर गावं में नहीं है किसी के घर में दरवाजा, फिर भी नहीं होती है चोरी

एक और जहा शहरों के घरों में कई ताले जड़ने के बाद भी चोरिया हो जाती है वही महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले के शनि-शिगनापुर गाँव में किसी के भी घर में दरवाज़े नहीं है. यहाँ तक की दुकानों पर भी गेट नहीं है. लोग अपने जरुरी सामान पर भी ताला नहीं लगाते है. लेकिन उसके बावजूद भी गाँव में कभी कोई चोरी नहीं हुई है.

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कर्नाटका में मुत्रू गाँव में आज भी बोली जाती है संस्कृत

एक और जहा देश में हिंदी अपने वजूद के लिए लड़ रही है वही देश में एक गाँव एसा भी है जहा गावं के लोग सिर्फ संस्कृत बोलते है. शिमोगा शहर से 10 किलोमीटर दूर मुत्रू गाँव में प्राचीन काल से संस्कृत बोली जाती है. गावं में कुछ भी हो लेकिन बात सिर्फ संस्कृत में ही की जाती है. सबसे बड़ी बात तो यह है की यहाँ पर रहने वाले मुस्लिम परिवार भी बड़ी सहेजता से संस्कृत भाषा बोलते है. बच्चे, बड़े या बूढ़े सब ही बेहद आसानी से संस्कृत बोलते है.

उत्तर प्रदेश के अमरोहा गाँव का टमाटर जो बिकता है पुरे देश में  

उत्तर प्रदेश के इस गाँव की पहचान से अभी तक आप शायद परिचित ना हो लेकिन यू.पी के इस गाँव ने देश भर में झंडे गाड़ दिए है. देश में शायद ही कोई जगह हो जहा पर इस गावं का टमाटर ना जाता हो. गाँव में 17 साल से टमाटर की खेती चल रही है और यह व्यवसाय फैलता ही जा रहा है. मुरादाबाद मंडल में सबसे ज्यादा खेती यही होती है. इस गाँव में 5 महीने में 60 करोड़ का काम होता है. आपको जान कर हैरानी होगी की इस गाँव की आबादी सिर्फ तीन हज़ार पांसो लोगों की ही है.

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केरल के कोरणी गाँव में है 350 जुड़वा बच्चे

केरल के यह गाँव जुड़वा गाँव के नाम से जाना जाता है. जहा विशव स्तर पर हर एक हज़ार बच्चो पर 4 जुड़वा बच्चे है वही कोरणी गाँव में एक हज़ार बच्चो पर 45 बच्चे जुड़वा बच्चे पैदा होता है. पूरी दुनिया में जुड़वाओ के मामलो में यह औसत दुसरे नंबर पर है लेकिन एशिया में यह औसत एक नम्बर पर है. इस गाँव के स्कूल, बाज़ार में हर जगह जुड़वा बच्चे नज़र आते है.

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तो यह है भारत के कुछ अजीबो गरीब गाँव. उम्मीद है आपको जान कर ख़ुशी हुई होगी.