कश्मीर में बीजेपी ने गठबंधन से खींचे अपने हाथ, गिरी महबूबा की सरकार, राज्यपाल शासन होगा लागू

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नई दिल्ली: जम्मू-कश्मीर में करीब तीन साल तक चली पीडीपी की सरकार आखिर कर गिर चुकी है. बीजेपी ने जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापिस लिया है. जिसके बाद महबूबा मुफ्ती ने अपना इस्तीफा राज्यपाल एनएन वोहर को दे दिया. वहीं कांग्रेस ने पीडीपी को अपना समर्थन देने से साफ इंकार कर दिया है. ऐसे में अब राज्य में राज्यपाल शासन लगाना जरूरी है.

बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आज राज्यपाल शासन लागू कर दिया गया है. इसकी मंजूरी खुद राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी है. यह आठवीं बार है जब जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू किया गया है. यह चौथी बार है जब एनएन वोहर के कार्यकाल में जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया है.

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महबूबा मुफ्ती के बीते दिन इस्तीफा देने के बाद उमर अब्दुल्ला ने राज्यपाल से मुलाकात की थी. वहीं जम्मू-कश्मीर में नई सरकार बनाने की कोई संभावना नहीं लगा रही ऐसे में राज्यपाल ने राष्ट्रपति को प्रदेश में राज्यपाल शासन लगाने की सिफारिश भेजी थी. आपको बता दें कि बीजेपी के मुख्य नेता अमित शाह ने कल कश्मीर मसले पर बड़ी मीटिंग बुलाई है. शाह ने पार्टी के शीर्ष नेताओं समेत जम्मू-कश्मीर सरकार में शामिल अपने मंत्रियो को भी बुलाया हैं. जिसके बाद भाजपा ने समर्थन वापस लेने का फैसला किया है.

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बीजेपी नेता राममाधव ने कल पीडीपी से बीजेपी से समर्थन वापिस लेने का ऐलान करते वक्त यह कहा कि पिछले कुछ समय से कश्मीर की स्थिति काफी खराब है, जिसके कारण हमे इस फैसले पर आना पड़ा. उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य नेतृत्व सभी से वार्ता की गई है. सरकार गिरने के बाद बीजेपी ने जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाए जाने की मांग की थी.

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राज्यपाल ने ही फोन कर महबूबा को बताया

जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एन एन वोहरा के एक फोन कॉल के बाद राज्य की मुख्यमंत्री के रूप में महबूबा मुफ्ती का कश्मीर में एकदम से कार्यकाल समाप्त हो गया. उन्होंने ही कल महबूबा मुफ्ती को फोन कॉल पर बताया कि भाजपा ने पीडीपी के साथ अपना गठबंधन तोड़ दिया है.

जम्मू-कश्मीर में क्यों लगता है राज्यपाल शासन

जम्मू-कश्मीर के संविधान के सेक्शन 92 के अनुसार, राज्य में संवैधानिक तंत्र की विफलता के बाद से राष्ट्रपति की मंजूरी से छह महीने के लिए राज्यपाल शासन लागू किया जाता है. राज्यपाल शासन लागू करने के बाद यह तो विधानसभा को बर्खास्त कर दिया जाता है या उसे भंग कर दिया जाता है. वहीं अगर राज्यपाल शासन के छह महीने के भीतर अगर राज्य में संवैधानिक तंत्र दोबारा बहाल नहीं की जाती है तो संविधान की धारा 356 के तहत जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन के समय को ओर अधिक बढ़ा दिया जाता है और यह राष्ट्रपति शासन में तब्दील हो जाता है.