तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि का मंगलवार को निधन हो गया। वे 94 वर्ष के थे। एक सफ़ल राजनेता के साथ-साथ वे एक अच्छे लेखक,पत्रकार, प्रकाशक और कार्टूनिस्ट भी थे। करुणानिधि लेखक, नाटककार और तमिल सिनेमा जगत के एक जानेमाने पटकथा लेखक के रुप में जाने जाते थे। उनके जानने वाले लोग उन्हें कलाईनार नाम से पुकारते थे जिसका मतलब होता है कला को जानने वाला इंसान उन्होंने महज 20 साल की उम्र में तमिल सिनेमा में पटकथा लेखक के रुप में काम करना शुरु कर दिया था। अपनी पहली फ़िल्म राजकुमारी से ही वे लोकप्रिय हो गए।
बाद में उनके द्रारा लिखी 75 से ज़्यादा पटकथाएं काफी लोकप्रिय हो गई। करुणानिधि को भाषा की महारत हासिल थी उनकी इसी ताकत नें उन्हें दक्षिण राजनीति का एक सफ़ल राजनेता बना दिया। करुणानिधि के निधन पर राज्य में 7 दिन का शोक घोषित किया गया हैं। राज्य में सरकारी क्रार्याल बंद रहेंगे और राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा आधा झुका रहेगा।
द्रविड़ आंदोलन के जरिए रातनीति में रखा कदम
करुणानिधि नें द्रविड़ आंदोलन के जरिए राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने द्रविड आंदोलन में हिस्सा लिया। बाद में उन्होंने युवाओं के साथ मिलकर अपना संगठन बना लिया यह संगठन मनावर नेसन नाम का अख़बार प्रकाशित करता था जो की हाथ से लिखकर प्रकाशित किया जाता था।
आजादी से पहले सन 1938 में जस्टिस पार्टी के अलगिरिस्वामी के भाषण नें करुणानिधि को राजनीति की राह दिखा दी थी। जबकि उस समय उनकी उम्र महज 14 साल की थी। बाद में वे हिंदी विरोधी आंदोलन से जुड़ गए थे। करुणानिधि सफ़ल राजनेता के साथ-साथ, फ़िल्म पटकथा लेखक, पत्रकार के साथ तमिल साहित्यकार के रुप में भी प्रसिद्र थे। उन्होंने कईं किताबें भी लिखी उन्होंने तकरीबन सौ से अधिक किताबें भी लिखी.
करुणानिधि के चाहने वाले उन्हें मरीना बीच में दफनाना चाहते है
जब से करुणानिधि का निधन हुआ है तब से उनके सर्मथक उनकों मरीना बीच में दफनाने की बातें कह रहें है। पार्टी के नेता चाहते है की जहां पर पूर्व मुख्यमंत्री अन्नादुराई को दफनाया गया था वहीं उनके बगल में करुणानिधि को भी दफनाने की इज़ाजत मिलें। वहीं तमिलनाडु की सरकार नें करुणानिधि को दफनाने के लिए मरीना बीच की जगह गांधी मडपन में जगह देने की बात की थी। अभी तक सिर्फ़ दो मुख्यमंत्रियों को ही मरीना बीच में दफनाया गया हैं। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री सीएऩ अन्नादुराई और एमजी रामचंद्रन शामिल हैं। आपको बता दे की सीएन अन्नादुराई ने डीएमके की स्थापना की थी। तो वहीं एमजी रामचंद्रन एआईडीएमके के संस्थापक रहे थे।