लंका में रहते हुए सीता माता को भूख क्यों नहीं लगती थी ?

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सीता माता
सीता माता

हिंदू धर्म में रामायण की कथा का विशेष महत्व है. इसका कारण यह है कि यह भगवान राम की जीवन कथा पर आधारित है. जिसके कारण लोग बहुत श्रद्धा के साथ रामायण को पढ़ते हैं. रामायण में एक स्थान पर वर्णन मिलता है कि जब लंका का राजा रावण सीता माता को उठाकर लंका में ले जाता है, तो सीता माता वहाँ पर अन्न का एक दाना भी नहीं खाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि लंका के एक अन्न के दाने को भी ना खाने के बाद भी सीता माता भूखी कैसे जिंदा रही ?

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भगवान राम और सीता

ऐसी मान्यता है कि जब सीता माता ने लंका में अन्न खाने से मना कर दिया तो ब्रह्मा द्वारा भगवान इंद्र के हाथों एक विशेष प्रकार की खीर सीता माता के लिए भिजवाई थी. इंद्र देव ने अपने प्रभाव के कारण सीता माता के रक्षकों को सुला दिया. जिसके बाद वो दिव्य खीर सीता माता को दी गई. इस खीर को खाने के बाद सीता माता की भूख शांत हुई तथा वो बिना लंका का अन्न खाए लंका में जिंदा रह पाई.

Rice Milk Kheer -
खीर

सीता माता को अपने पति श्री रामचंद्र पर पूरा भरोसा था. इसी के कारण लंका में उन्होंने लंका का कुछ भी नहीं खाया. जिसके बाद भगवान राम ने लंका पर आक्रमण किया तथा लंका के राजा रावण का वध कर सीता को सुरक्षित अयोध्या लेकर आए.

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रामायण के पात्र अपने आप में एक आदर्श चरित्र वाले हैं. माता सीता की बात करें, तो वो एक आदर्श पतिव्रता थी. अगर भगवान राम के चरित्र की बात करें तो वो आदर्श पुत्र और राजा थे. लक्ष्मण और भरत आदर्श भाई थे. इसके साथ ही रामायण में हनुमानजी का भी वर्णन मिलता है, जो कि एक आदर्श स्वामी भक्त थे. जिन्होंने हमेशा भगवान राम की भक्ति की.