अरहर दाल की कीमतें इस समय 100 रुपये के पार चली गई हैं। कहीं-कहीं यह 110 और 120 रुपये किलो बिक रही है। आज से लगभग चार साल पहले भी दाल की कीमतें आसमान छुई थी। तब यह 200 रूपए किलो तक बिकी थी।
हालांकि सरकार ने दाल की बढ़ती कीमतों पर संज्ञान लिया है। केंद्रीय खाद्य एवं जन वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने दालों की कीमतों में बढ़ोतरी की जांच कराने का आदेश दिया है।
दाल की कीमतों में बढ़ोत्तरी की वजह उत्पादन में कमी और सूखे पड़ने के आसार हैं। इस बार मानसून सामान्य से कम रह सकता है, इसके कारण भी दाल की अगली फसल प्रभावित होने का अनुमान है। अभी तो फिलहाल दाल 120-125 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रही है अगर आगे भी मौसम ठीक नहीं रहा तो इसमें और तेजी दिख सकती है।
तुअर दाल के सबसे बड़े उत्पादक राज्यों महाराष्ट्र और कर्नाटक में सूखे के बावजूद दाल में मंहगाई असामान्य है। महाराष्ट्र में 72 % और कर्नाटक में 88 % सूखे का असर है।
दाल की कीमतों में बढ़ोतरी असामान्य है। विशेषज्ञों के अनुसार यह कंपनियां हैं जो इसका फायदा उठा रही हैं। क्योकि किसान अपनी उपज पहले ही बेच चुके हैं। कंपनियों के पास स्टॉक है और वे उत्पादन में महज 3 लाख टन की गिरावट के कारण कीमतों में इतनी बढ़ोतरी कर दी है। इसका असर साफ़तौर पर आम जनता पर पड़ रहा है। लोगों को आशंका है कि कहीं यह 200 के पार न हो जाए।
विशेषज्ञों के मुताबिक यह बढ़ोतरी कंपनियां अपने मुनाफा के लिए कर रही हैं। इसका फायदा किसानों को नहीं मिल रहा है क्योंकि किसानों के पास से तो पहले ही दाल की खरीद हो चुकी है।
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अगर दाल की कीमते इसी तरह बढ़ती रही तो सरकार को हस्तक्षेप करना पड़ेगा। सरकार को दाल का निर्यात बढ़ाना पड़ेगा। केंद्रीय खाद्य एवं जन वितरण मंत्री रामविलास पासवान ने नेफेड से खुले बाजार में 2 लाख टन दाल बेचने के लिए कह भी चुके हैं।