सवाल 141: रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु के बाद उनकी कमर में बंधे बच्चे का क्या हुआ?

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सवाल 141
सवाल 141: रानी लक्ष्मी बाई की मृत्यु के बाद उनकी कमर में बंधे बच्चे का क्या हुआ?

हम हमेशा झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की बात करते हैं। उनकी शौर्य गाथा गाते हैं। लेकिन क्या किसी को पता है कि जिस बच्चे को कमर में बांधकर रानी लक्ष्मी बाई लड़ी थी उस बच्चे का उनके मरने के बाद क्या हुआ? इस बारें में शायद ही कोई जानता हो?

आपको बता दें कि जिस बच्चे को कमर में बांधकर रानी लक्ष्मी बाई लड़ी थी वह उनका अपना बेटा नहीं था। बल्कि यह राजा राव गंगाधर राव के चचेरे भाई का बेटा था। रानी लक्ष्मी बाई को बेटा हुआ था लेकिन वह मर गया था इसके बाद उन्होंने वासुदेव राव नयालकर के रूप में जन्मे चचेरे भाई के बेटे को गोद लिया। इसका नाम फिर दामोदर राव रखा गया। गंगाधर की मृत्यु से पहले दामोदर का नाम बदलके आनंद राव रखा गया।

जब गंगाधर राव बच्चे को गोद ले रहे थे तब वहाँ ब्रिटिश राजनीतिक अधिकारी भी उपस्थिति थे। ब्रिटिश अधिकारीयों को महाराजा की ओर से एक पत्र दिया गया था जिसमें निर्देश दिया गया था कि बच्चे के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार किया जाए और झांसी के साम्राज्य को उनके मरने के बाद उनकी विधवा रानी लक्ष्मी बाई को दिया जाए।

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18 जून 1858 को कोटा की सेराई में रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु के बाद दामोदर जिन्दा रहे । ब्रिटिश के भय से वह घोर गरीबी में जंगल में अपने कुछ शुभ चिंतकों के साथ रहे। दामोदर राव द्वारा बताए गए एक संस्मरण के अनुसार, वह ग्वालियर के युद्ध में अपनी माँ की सेना और घराने में से थे, साथ में जो अन्य लोग बच गए थे (60 ऊंट और 22 घोड़ों के साथ लगभग 60 अनुचर), वह शिविर से भाग गए थे। बिठूर के राव साहिब और बुंदेलखंड के गाँव के लोगों ने अंग्रेजों से विद्रोह के डर के कारण उनकी सहायता नहीं की, उन्हें जंगल में रहने के लिए मजबूर किया गया।

इसके बाद दामोदर राव ने झालरापाटन में शरण ले ली थी। उनकी मुलाक़ात कुछ पुराने विश्वासपात्रों की मदद के कारण झालरापाटन के राजा प्रतापसिंह से हुई। एक पुराने विश्वासपात्र नेनखान ने स्थानीय ब्रिटिश राजनीतिक अधिकारी, फ्लिंक को युवा दामोदर को माफ करने के लिए प्रभावित किया।

अंग्रेजों के सामने आत्मसमर्पण करने के बाद, उन्हें इंदौर भेजा गया। इधर स्थानीय राजनीतिक एजेंट सर रिचर्ड शेक्सपियर ने दामोदर को उर्दू, अंग्रेजी और मराठी सिखाने के लिए मुंशी धर्मनारायण नामक एक काश्मीरी केयरटेकर को उनके संरक्षण में रखा। उन्हें केवल 7 लोगों को रखने की अनुमति थी। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें 10,000 रु की वार्षिक पेंशन आवंटित की थी।

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इसके बाद दामोदर जब बड़े हुए तो उन्होंने इंदौर आकर शादी कर ली। उनकी पहली पत्नी की कुछ समय बाद मृत्यु हो गई और उनका विवाह फिर से शिवरे परिवार में हुआ। 1904 में उनका लक्ष्मण राव नाम का एक बेटा हुआ।

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बाद में भारत में कंपनी के शासन के अंत के बाद उन्होंने ब्रिटिश राज से अपनी पहचान और झांसी का राजा घोषित करने के लिए याचिका दी, लेकिन कानूनी उत्तराधिकारी के रूप में मान्यता देने से उन्हें इनकार कर दिया गया।

दामोदर राव को फोटोग्राफी का शौक था। उनका निधन 28 मई 1906 को हो गया।