भगवान की पूजा करना चाहिए या नहीं?

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भगवान की पूजा करना चाहिए या नहीं?
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सनातन परंपरा में देवी-देवताओं की पूजा करने की तमाम तरह की विधियां बताई गई हैं. मसलन, कोई देवता मात्र जल से तो कोई महज पत्ती से तो कोई महज दूर्वा से ही प्रसन्न हो जाते हैं. वहीं जब हम अपने आराध्य की साधना-आराधना विधि-विधान से करते हैं तो हमें कई चीजों की जरूरत पड़ती है. पूजा के कई नियमों का पालन भी करना पड़ता है, जैसे दिन विशेष या फिर सुबह और शाम की पूजा में क्या करना चाहिए और क्या करना चाहिए.

तो आइए जानते हैं कि किसी भी देवी-देवता की शास्त्रोचित पूजा करते समय हमें किन बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए.पूजा का प्रचलन मध्यकाल में शुरू हुआ, जबकि हिन्दुओं को मंदिरों में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। कई मंदिरों को तोड़ दिया गया था। हालांकि घर में पूजा करने से किसी भी प्रकार का कोई दोष नहीं। घर में पूजा नित्य-प्रतिदिन की जाती है और मंदिर में पूजा या आरती में शामिल होने के विशेष दिन नियुक्त हैं, उसमें भी प्रति गुरुवार को मंदिर की पूजा में शामिल होना चाहिए।

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घर में पूजा करते वक्त कोई पुजारी नहीं होता जबकि मंदिर में पुजारी होता है। मंदिर में पूजा के सभी विधान और नियमों का पालन किया जाता है, जबकि घर में व्यक्ति अपनी भक्ति को प्रकट करने के लिए और अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए पूजा करता है। लाल किताब के अनुसार घर में मंदिर बनाना आपके लिए अहितकारी भी हो सकता है। घर में यदि पूजा का स्थान है तो सिर्फ किसी एक ही देवी या देवता की पूजा करें जिसे आप अपना ईष्ट मानते हैं।सुखी और समृद्ध जीवन के लिए देवी-देवताओं के पूजन की परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है। आज भी बड़ी संख्या में लोग इस परंपरा को निभाते हैं।

पूजन से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, लेकिन पूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन भी किया जाना चाहिए। अन्यथा पूजन का शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हो पाता है। सामान्य पूजन में भी इन बातों का ध्यान रखें शुभ फल की प्राप्ति होगी।भगवान की पूजा करना चाहिए के जवाब में बस इतना कहना है की जो सनातन धर्म में विस्वास रखता है यानी आस्तिक है वो भगवान की पूजा करता है।

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