आख़िर क्यों महत्वपूर्ण है राहुल गांधी का बेरोज़गार और आतंकवाद पर दिया गया बयान

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राहुल गांधी ने अपनी जर्मनी यात्रा के दौरान एक ऐसा बयान दे दिया है जिससे पुरे देश में घमासान मच हुआ है। उन्होंने अपने बयान में कहा की जहाँ-जहाँ बेरोजगारी पैदा होती है वहां पर आतंकवाद जन्म लेता है। उन्होंने इराक का उदाहरण दिया की वहां पर जब बेरोजगारी बढ़ी, तब वहां के समुदाय के लोग आपस में ही लड़नें लगे। राहुल के इस बयान का मतलब भारत में यह निकाला जा रहा है की राहुल गांधी विदेशी ज़मीन में कह रहें है की बेरोजगारी की वजह से भारत में हिंसा का माहौल बनेगा। क्योंकि राहुल गांधी नें कहा था की भारत में जो हिंसा हो रही है उसके लिए बेरोजगारी जिम्मेदार है। अब सवाल उठता है की क्या वाकई में बेरोज़गारी आतंक को पैदा करती है।

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राहुल गांधी का यह बयान इसलिए महत्तवपूर्ण है क्योंकि भारत में इस वक्त बहुत ज्याद बेरोज़गारी है तो क्या यह मान लिया जाए की बेरोजगारी इंसान के दिमाख में आतंक का वो बीज बो देती है जिसे बाद में काटने का कोई अस्त्र नहीं होता है। शायद राहुल गांधी को लगता है की बेरोजगार भारत में आने वाले वक्त में आतंक जन्म लेगा। अगर आतंक जन्म न भी ले लेकिन हिंसा तो जरुर जन्म लेगी ही और शायद पिछले कुछ वक्त में यह बात साबित भी हो चुकी है जब हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान लोगों नें हिंसात्मक कार्य किए थे। लोग सडकों पर उतरे थे की उन्हें रोजगार चाहिए इसे लेकर युवाओं नें सडकों पर उतपात मचाया था। तो क्या यह मान लिया जाए की जब बेरोजगारी भारत के युवाओं को परेशान करेगी तो वह हिंसा का रास्ता अपनाएंगे। वैसे ही हिंसा का रास्ता जिसे मुस्लिम देशों के युवाओं ने अपनाया है।

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यह बात बहुत हद तक सही भी लगती है की जब-जब भारत में युवाओं के लिए रोजगार के अवसर न के बराबर रहे है तब-तब भारत के युवाओं नें हिंसा का रास्ता अपनाया है। उदाहरण के लिए मंडल कमीशन, हरियाणा जाट आंदोलन, कावेरी जल विवाद, जेएनयु में छात्रों का भारत विरोधी अभियान। ये सभी चीजे इशारा करती है की अपनी अच्छे भविष्य को न देख पाने के दर्द से भारत के युवा भी हिंसात्मक बन सकते है।

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अब इन सब के बाद अगर रोजगार के अवसर न होने पर आतंकवाद बढ़ता है तो क्या भारत में आने वाले वक्त में कुछ ऐसा ही होने वाला है। इस बात में कोई दो मत नहीं है की युवाओं का खाली दिमाग ग़लत चीजों में लगता है। अगर ये खाली दिमाग पढे लिखे लोगों का हो तो स्थिति काफी ज्याद भयावह हो जाती है। शायद राहुल गांधी का इशारा इसी तरफ़ था।