अगर कोई व्यक्ति किसी पर केस दर्ज करता है तो वकील दोनों तरफ़ से रहता है या एक तरफ़ से ?

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अगर कोई व्यक्ति किसी पर केस दर्ज करता है तो वकील दोनों तरफ़ से रहता है या एक तरफ़ से ?
अगर कोई व्यक्ति किसी पर केस दर्ज करता है तो वकील दोनों तरफ़ से रहता है या एक तरफ़ से ?

अगर कोई व्यक्ति किसी पर केस दर्ज करता है तो वकील दोनों तरफ़ से रहता है या एक तरफ़ से ? ( If a person files a case against someone, does the lawyer stay from both sides or from one side? )

शिक्षा के प्रसार से पहले लोगों को अपने अधिकारों के बारे में जानकारी नहीं होती थी. जिसके कारण उनका शोषण होता रहता था. लेकिन अभी लोगों को पता है कि अगर उनके साथ कोई गलत करता है, तो वे उसके खिलाफ कोर्ट में केस कर सकते हैं. अगर उसके आरोप सही पाए जाते हैं, तो कोर्ट उसका साथ देगा. इसी कारण लोगों के मन में कोर्ट और कानून से संबंधित नए नए सवाल पैदा होते रहते हैं. ऐसा ही एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि अगर कोई व्यक्ति किसी पर केस दर्ज करता है तो वकील दोनों तरफ़ से रहता है या एक तरफ़ से ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

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वकील

वकील दोनों तरफ़ से रहता है या एक तरफ़ से ?

सबसे पहले तो हमें यह समझना होगा कि कोर्ट में वकील का काम क्या होता है. अगर बिल्कुल साधारण शब्दों में समझे तो, वह जिसका केस लड़ रहा होता है, उसकी बात को कोर्ट में कानून की बारीकियों के साथ न्यायाधीश के सामने रखता है. आम इंसान कानून की बारीकियों को नहीं जानता है. इसी कारण केस लड़ने के लिए वकील की आवश्यकता होती है. ऐसा दोनों पक्षों की तरफ से होता है. जो पक्ष आरोप लगाता है, एक वकील उसकी तरफ से केस लड़ता है तथा दूसरा वकील आरोपी की तरफ से केस लड़ता है. अगर कोई व्यक्ति किसी पर केस दर्ज करता है तो वकील दोनों तरफ़ से रहता है.

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गरीब व्यक्ति जो वकील नहीं कर सकता उसका क्या होता है-

अगर कोई व्यक्ति बहुत गरीब है तथा वह अपना केस नहीं लड़ सकता है. ऐसी स्थिति में उसको मुफ्त वकील की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है. ताकि गरीबी की वजह से उसके साथ अन्याय ना हो. दरअसल, भारतीय संसद ने गरीबों को फ्री कानूनी सहायता देने के लिए साल 1987 में विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम पारित किया था. हालांकि मुफ्त वकील की सुविधा प्राप्त करने के लिए कुछ योग्यताएं भी निर्धारित की गई हैं. उदाहरण के तौर पर – अनुसूचित जाति या जनजाति समुदाय के लोगों को. 2. भिखारी या मानव तस्करी के शिकार व्यक्ति को. 3. महिलाओं, बच्चों और दिव्यांगों को. 4. किसी प्राकृतिक आपदा जैसे भूकम्प, बाढ़ और सूखा आदि के शिकार व्यक्तियों को. 5. बाल सुधार गृह के किशोर और मानसिक रोगी को, इसके अलावा ऐसे व्यक्ति जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते हैं इत्यादी.

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अगर आपके पास अपना केस लड़ने के लिे पैसे नहीं है, तो ऐसी स्थिति में आप मुफ्त वकील करने के लिए आवेदन कर सकते हैं. अगर आप सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ रहे हैं, तो नेशनल लीगल सर्विस अथॉरिटी या इसकी वेबसाइट यानी ( Nalsa Legal Aid Management )पर संपर्क कर सकते हैं. इसके अलावा अगर आप हाईकोर्ट में केस लड़ना चाहते हैं, तो मुफ्त कानूनी सहायता के लिए राज्य के स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (National Legal Services Authority! (nalsa.gov.in)) से संपर्क करना होता है. इसके अलावा गरीबों को जिला स्तर पर भी मुफ्त कानूनी सहायता दी जाती है. इसके लिए डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी से संपर्क किया जा सकता है. सरकार की तरफ से यह सुविधा दी गई है, ताकि गरीबी या किसी भी कारण की वजह से किसी के साथ अन्याय ना हो.

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