तो क्या लालू को लगा एक और झटका?

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तो क्या लालू को लगा एक और झटका?
तो क्या लालू को लगा एक और झटका?

बिहार में आए राजनीति तूफान के बाद बिहार की राजनीति पार्टियों को एक के एक बाद झटके लगते ही जा रहे है। बिहार में चल रहे राजनीतिकरण से तो शायद ही कोई अंजान होगा। झटके लगने के रेस में लालू यादव आगे दिखाई दे रहे है, पहले बिहार की सरकार से अलग-थलग होना फिर बेटों पर सीबीआई जांच और इसके बाद फिर उन्हें एक बड़ा झटका लग गया है। जी हाँ, खबर है कि लालू यादव की पार्टी के एक बड़े नेता ने सीएम नीतीश का दामन थाम लिया है। बिहार में लालू प्रसाद यादव और उनकी पार्टी को एक और झटका लगा है।

आपको बता दें कि आरजेडी के प्रवक्ता प्रगति मेहता ने जनता दल युनाइडेट (जदयू) यानी नीतीश कुमार की पार्टी में शामिल हो गए हैं। नीतीश कुमार के गठबंधन तोड़ने के बाद यह लालू के लिए एक और झटके की तरह है। लालू को इस बड़े नेता के पार्टी छोड़कर नीतीश के साथ मिल जाने पर बड़ा झटका लगा गया है। आपको याद दिला दें कि लालू यादव के बेटे और उनपर भ्रष्टाचार के आरोप लगने के बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी से गठबंधन तोड़ लिया था और भारतीय जनता पार्टी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी, जिससे लालू पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा था। नीतीश के बीजेपी के साथ सरकार बनाने पर लालू परिवार ने नीतीश को बहुत खरी-खोटी भी सुनाई थी। खरी-खोटी सुनाते हुए लालू ने कहा था कि नीतीश पर कत्ल का एक पुराना केस दर्ज है जिसमें सजा के डर से उन्होंने पाला बदल लिया। वहीं नीतीश खेमे के शरद यादव बीजेपी के साथ आने से खफा हैं। वह पार्टी छोड़ भी सकते हैं। बिहार के राजनीति पर गौर किया जाए तो इस समय केवल पार्टी बदलों अभियान ही चरम पर है।

राजद से बागी हुए राजद के प्रवक्ता रहते हुए प्रगति मेहता ने नीतीश पर कई बार निशाना साधा था। आपको बता दें कि प्रगति मेहता ने कहा था कि नीतीश कुमार ने भाजपा से हाथ मिला कर बिहार के जनादेश का अपमान किया है। इससे जनता में आक्रोश है। बिहार की जनता नीतीश कुमार को सबक सिखाएगी। प्रगति ने कहा था कि नीतीश की नैतिकता,ईमानदारी वाली छवि से मुखौटा उतर गया है। राजद के बागी नेता के बयानों पर गौर किया जाए तो एक बड़ा सवाल उठता है कि जब नीतीश ने बीजेपी के साथ सरकार बनाया था, तो जनादेश का अपमान हुआ था, तो आपके जाने से जनादेश का सम्मान होगा क्या नेता जी? या आपके भी मुख से दिखावट का मुखड़ा उतरने में देर नहीं हुई?

बहरहाल, बिहार की राजनीति में मुखौटा किसने किसका पहना है, यह तो सिर्फ वही जानता होगा, लेकिन बिहार की राजनीति में हो रही उथल-पुथल लालू की पार्टी के लिए जोर का ही झटका है।