गुजरात पर ताजा ओपिनियन पोल हजम होने लायक नहीं है। एबीपी न्यूज के ओपिनियन पोल के मुताबिक गुजरात में अभी चुनाव हुए तो बीजेपी को पिछले चुनाव से भी बड़ी कामयाबी मिल सकती है। ओपिनियिन पोल के मुताबिक गुजरात के कुल 182 विधानसभा सीटों में से बीजेपी की झोली में 144 से 152 सीटें जा सकती हैं। जबकि कांग्रेस को महज 26 से 32 सीट पर संतोष करना पड़ सकता है। अन्य के खाते में 3 से 7 सीटें जा सकती हैं।
ओपिनियन पोल से भटका रहे हैं?
अगर ओपिनियन पोल की माने तो 2015 में दिल्ली विधानसभा चुनाव का परिणाम आने से दो दिन पहले तक बीजेपी स्पष्ट रूप से बहुमत में आ रही थी। लेकिन भाजपा दिल्ली में किस स्थिति में है आप सब देख रहे हैं। यही नहीं न्यूज चैनलों के कई ओपिनियन पोल गलत साबित हुए हैं और उनकी विश्वसनियता पर भी सवाल उठते रहे हैं।
भाजपा को होगा पटेल आंदोलन का नुकसान
पटेल आरक्षण को लेकर गुजरात में पिछले साल एक बड़ा आंदोलन हुआ, भाजपा सरकार ने आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल पर देशद्रोह का केस लगा दिया। हार्दिक को कई महीनों तक गुजरात से बाहर रखा गया। यही नहीं इसी कारण से भाजपा की मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल को अपनी कुर्सी गंवीनी पड़ी। इस आंदोलन को युवाओं का भरपूर समर्थन मिला। जबकि ओपिनियन पोल के अनुसार हार्दिक पटेल के आंदोलन का बीजेपी को कोई नुकसान नहीं होगा। इस बात पर तो हंसा ही जा सकता है।
राज्यसभा चुनाव लड़ने का तरीका कमजोर पार्टी की तरह
गुजरात में हाल ही में राज्यसभा चुनाव जिस तरह से लड़ा गया और कांग्रेसी विधायकों को जिस तरह से तोड़ा गया उससे साफ जाहिर होता है कि भारतीय जनता पार्टी के हालात गुजरात में सही नहीं है और लाख कोशिशों के बावजूद भी ये अहमद पटेल को हरा नहीं पाए।
दलित विरोधी इमेज का नुकसान
ऐसा संभव है कि गुजरात के ऊना में जिस तरह से गोरक्षा के नाम पर दलितों पर हमले हुए उससे निश्चत रूप से बीजेपी को नुकसान हुआ है। पार्टी पर दलित विरोधी होने का आरोप लगा है। प्रदेश में दलितों पर हो रहे हमले को देखते हुए एक चेहरा जिग्नेश मेवानी का ऊभरकर सामने आया है जो कि भाजपा को नुकसान पहुंचा सकता है।
इन सब बातों के बावजूद इस प्रकार के ओपिनियन पोल को हास्यास्पद ही कहा जा सकता है। ओपिनियन पोल कहीं से भी तर्कसंगत नहीं दिखता, गुजरात में जिस तरह से पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक भाजपा को वोट प्रतिशत समेत सीटों की बढ़ोतरी दिखाई जा रही है वो किसी भी प्रकार हजम होने वाली बात नहीं है। हां शंकर सिंह बाघेला के बागी होने का फायदा भाजपा को मिल सकता है।