देश का एक ऐसा रेलवे स्टेशन जहां सिर्फ महिलाएं करती हैं काम

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भारत एक ऐसा देश है जहां हर रोज़ कुछ ना कुछ नया होता रहता है. मगर कुछ किस्से और काम ऐसे भी होते हैं जिन्हें स्वर्णाक्षरों में लिखा जाता है. ऐसा ही कुछ देश के ‘माटुंगा’ रेलवे स्टेशन के साथ हो रहा है. दरअसल अपनी ख़ास कार्यप्रणाली और कर्मचारियों की वजह से ये स्टेशन लोगो के बीच चर्चा का विषय बन गया है.

यहाँ तक कि अपनी एक अनोखी पहल की वजह से इस रेलवे स्टेशन ने लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स (एलबीआर) में अपना नाम दर्ज करा लिया है.

नो मैन ओनली वीमेन

दरअसल इस रेलवे स्टेशन की आकर्षक बात है ये है कि यहाँ सिर्फ महिला कर्मचारी ही काम करती हैं. मुंबई सिटी में स्थित माटुंगा में 41 महिला कर्मचारी हैं जो पूरे स्टेशन का परिचालन करती हैं. इस स्टेशन के हर विभाग में सिर्फ महिला कर्मचारियों को ही नियुक्त किया गया है.

41 में से 17 महिलाओं को ऑपरेशन और कमर्शियल विभाग, 8 टिकट चेकिंग, 6 रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स, 2 सरंक्षण स्टाफ, 2 अनाउंसर और 5 को अन्य विभागों में तैनात किया गया है. यहाँ की खास बात यह है कि स्टेशन मैनेजर भी ममता कुलकर्णी नाम की एक महिला ही  हैं.

Ladies Railway station -

आपको बता दें कि ममता कुलकर्णी वही हैं जो देश की ऐसी पहली महिला हैं जो साल 1992 में रेलवे में असिस्टेंट मैनेजर बनी थीं. उस वक़्त उन्हें मुंबई सेंट्रल रेलवे डिविजन में तैनात किया गया था. और अब वह माटुंगा में सभी महिला स्टाफ के साथ रेलवे स्टेशन का परिचालन कर रही हैं.

रेलवे ने महिलाओं को सशक्त बनाने का किया प्रयास

इस मामले पर बात करते हुए रेलवे के एक अधिकारी ने बताया, “महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए यह एक छोटी सी पहल है. हमारे कुछ पैसेंजर्स रिजर्वेशन सेंटर और उपनगरीय ट्रेनों में टिकटिंग सिस्टम पूरी तरह महिलाओं द्वारा संभाला जाता है. इसके बाद फैसला लिया गया कि एक पूरा रेलवे स्टेशन ही महिलाओं को सौंप दिया जाना चाहिए.” आगे उन्होंने कहा तकरीबन 10 महीने पहले लिया गया यह फैसला अब सफल हो रहा है. ऐसे में अब कुछ दुसरे स्टेशनों को भी पूरी तरह महिलाओं को सौंपा जा सकता है.

गौरतलब है कि माटुंगा रेलवे स्टेशन के आसपास कॉलेज और पढ़ाई से संबंधित कई संस्थान हैं. स्टेशन पर विद्यार्थिओयोन की बड़ी संख्या होती है. जिसके लिए रेलवे सुरक्षा अधिकारियों ने यात्रियों की सुरक्षा के मद्देनज़र महिला अधिकारी कर्मचारी नियुक्त करने की मांग की थी.