हिंदी में जाने प्रवाल पिष्टी के फायदे और नुकसान ?

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हिंदी में जाने प्रवाल पिष्टी के फायदे और नुकसान ?
हिंदी में जाने प्रवाल पिष्टी के फायदे और नुकसान ?

हिंदी में जाने प्रवाल पिष्टी के फायदे और नुकसान ? ( Know the advantages and disadvantages of Prawal Pishti in Hindi? )

वर्तमान समय में देखने को मिलता है कि लोग अपनी स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का इलाज आयुर्वेदिक पद्दति से कराना चाहते हैं. आयुर्वेद में अनेंक औषधियां होती हैं. काफी बार हमने उनका नाम सुना होता है तथा काफी बार उनका नाम भी नहीं सुना होता. अगर किसी दवा का हमने नाम सुना है तो हमें यह नहीं पता होता है कि इससे हमें क्या फायदा या नुकसान होता है. इसी कारण आयुर्वेदिक दवाओं से संबंधित कई तरह के सवाल हमारे मन में आते हैं. इसी तरह का एक सवाल है कि प्रवाल पिष्टी के फायदे और नुकसान क्या हैं. अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

प्रवाल भित्तियाँ -
प्रवाल भित्ति

प्रवाल पिष्टी क्या तथा कैसे बनती है-

प्रवाल पिष्टी एक आयुर्वेदिक दवा होती है. दरअसल, प्रवाल एक संमुद्री जीव होता है. यह प्रवाल, मूंगा (समुद्री शैवाल ) Corallum Rubrum से तैयार की जाती है. आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में प्रवाल को जान्तव द्रव्यों (herbs) में गिना जाता है. इसका कारण यह होता है कि ये भित्तियां समुंद्र में पाए जाने वाले एक विशिष्ट जीव के द्वारा निर्मित होती हैं. ये प्रवाल भित्तियां कैल्सियम कार्बोनेट की बनी हुई होती हैं. इन विशिष्ट छोटे जीवो का निवास स्थान प्रवाल होता है. जैसे मधुमक्खियों का छत्ता होता है. इससे 2 तरह की दवा बनती हैं. एक प्रवाल पिष्टी तथा दूसरी प्रवाल भस्म. इन दोनों में अंतर की बात करें, तो इसमें मुख्य अंतर यहीं होता है कि इनको बनाने की विधि अलग अलग हैं. अगर इसको बनाने की विधि की बात करें, तो इसमें बहुत सी अशुद्धियां होती हैं. सबसे पहले तो उनको दूर किया जाता है. इसके बाद शुद्ध किए हुए प्रवाल को गुलाब जल की भावना देकर खरल में घोंटा जाता है. इसे सुख जाने के बाद फिर ऐसा किया जाता है. ऐसा करने से बहुत ही महीन या बारीक गुलाबी रंग का पाउडर बनता है. इसे ही प्रवाल पिष्टी कहा जाता है.

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प्रवाल पिष्टी

प्रवाल पिष्टी के फायदे-

प्रवाल पिष्टी आयुर्वेद में एक बहुत ही महत्वपूर्ण औषधि हैं. इसकी तासीन ठंड़ी होती है. इसी कारण इसका प्रयोग पित या वात से जनित रोगों में किया जाता है. एसिडिटी, ज्वर, मूत्र जलन, पेट की जलन, यौन विकार एवं पित्त की अधिकता से सम्बंधित सभी रोगों में इसका इस्तेमाल किया जाता है . इसके साथ ही इसका प्रयोग रक्तपित्त, अम्लपित्त एवं महिलाओं के रक्त प्रदर के रोग में भी किया जाता है. जहाँ इसके बहुत ही अच्छे परिणाम मिलते हैं. इसका प्रयोग हड्डियों की कमजोरी को दूर करने के लिए भी किया जाता है क्योंकि इसमें प्रचूर मात्रा में कैल्सियम होता है. इसके साथ ही इसकी तासीर ठंडी होने के कारण यह शरीर की गर्मी को शांत करती हैं. इसके प्रयोग से बवासीर जैसी बीमारी के इलाज में भी सहायता मिलती है.

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किसी भी दवा को प्रयोग करने की एक मात्रा निर्धारित होती है. अगर हम उसका अत्यधिक सेवन करेगें, तो हमें उसके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते है. इसी कारण प्रवाल पिष्टी के प्रयोग से पहले डॅाक्टर से सलाह जरूर ले लें. अगर इससे होने वाले नुकसान की बात करें, तो इससे अत्यधिक इस्तमाल से हमें पेट में दर्द के साथ साथ उल्टी जैसी समस्याएं भी देखने को मिल सकती हैं. कुछ लोगों को इसमें मौजूद घटको से एलर्जी हो सकती है, तो ऐसी स्थिति में इसका इस्तमाल बंद कर देना चाहिएं. इसके अलावा इसके अत्यधिक प्रयोग से गुर्दे में पथरी की शिकायत भी हो सकती है. अगर आपको कोई भी साइड् इफेक्टस लगता है, तो तुरंत इसका उपयोग बंद कर नजदीकी डॅाक्टर से सलाह लेनी चाहिए.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारी पर आधारित हैं. News4social इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें।

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