पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की हालत नाजुक बनी हुई हैं। उन्हें एम्स अस्पतला में भर्ती कराया गया हैं। डॉकटरों नें उनके मेडिकल बुलेटिन में कहा है की वे वेंटिलेटर के सर्पोट पर हैं।
लेकिन क्या आपको पता है की अटल बिहारी वाजपेयी के वो कदम जिसनें रखी थी भारत के विकास की बुनियाद। सन 1991 में उदारीकरण की नीति के साथ भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने का काम अटल बिहारी वाजपेयी नें भी किया था। आईए हम आपको उनके वो पांच कदम गिनाते है जिसकी वजह से भारत नें हासिल की आर्थिक तरक्की।
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निजीकरण
अटल बिहारी वाजपेयी नें आर्थिक सुधारों के लिए उद्योगों का निजीकरण किया। उन्होंने BALCO , हिंदुस्तान जिंक, इंडिया पेट्रोकेमिकल्स कॉरपोरेशन लिमिटेड और BSNL फेमस विनिवेश थे। इससे कारोबार करने के लिए सरकार का दखल कम हुआ। इसके लिए सरकार नें अलग से एक विनिवेश मंत्रालय का गठन भी किया।
सर्व शिक्षा अभियान
अटल बिहारी वाजपेयी नें शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए सर्व शिक्षा अभियान भी चलाया था। जिससे देश में शिक्षा के प्रति लोगों की जागरुकता बढ़ी। इस अभियान का सबसे बड़ा फायदा आदीवासी, और गांवों में रहने वाले ग़रीब लोगों को पहुँचा। वाजपेयी के इसी नीति का नतीजा था की देश में शिक्षा के हालातों में जबरदस्त सुधार देखने को मिला।
सड़कों से देश को जोड़ा
आर्थिक तरक्की के लिए सरकार नें देश के राज्यों की सड़कों को दुसरे राज्यों की सड़कों से जोड़ने का काम किया। इसके लिए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार नें स्वर्णिम चतुर्भुज योजना, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना को लागू किया। इस योजना से दिल्ली, कोलकाता, दिल्ली और मुंबई को हाइवेज से जोड़ने में मदद की। वहीं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना ने देश को दूर दराज इलाकों में बसे गांवों तक सड़क पहुंचाने का काम किया।
संचार क्रांति
वाजपेयी सरकार नें देश में संचार क्रांति को लाने में एहम भूमिका अदा की। इसके लिए सरकार नें टेलीकॉम फर्म्स के लिए फिस्कड लाइसेंस फीस को हटा कर रेवेन्यू शेयरिंग की व्यवस्था लाई थी। इसके साथ सरकार भारत संचार निगम लिमिटेड का गठन भी किया गया। इसके जरिये नीति निर्धारण और सेवाओं के प्रावधानों को अलग-अलग किया गया।
वित्तिय कठिनाइयों का समाधान
सरकार नें राजकोषीय घाटा कम करने के लिए नई वित्त व्य्वस्था को लागू किया। इसी नीति के साथ रोजकोषीय घाटा कम रखने का लक्ष्य रखा गया। सरकार के इस कदम ने पब्लिक सेक्टर सेंविंग्स को बढ़ावा दिया। इसके चलते 2000 में जो सेंविंग्स जीडीपी का 0.8 प्रतिशत था वह 2005 में बढ़कर 2.3 प्रतिशत तक हो गया।