लुटियंस बनाम पटेल: उस संसद से लेकर नई संसद तक क्या बदला

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लुटियंस बनाम पटेल: उस संसद से लेकर नई संसद तक क्या बदला

लुटियंस बनाम पटेल: उस संसद से लेकर नई संसद तक क्या बदला

नए राजपथ के बनने और शुरू होने के साथ ही सेंट्रल विस्टा परियोजना ने पहला कदम बढ़ा लिया है। एक तरह से कह सकते हैं कि लुटियंस की दिल्ली के युग का अंत होने जा रहा है। सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट की सितंबर 2019 में घोषणा की गई थी। 10 दिसंबर 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परियोजना की आधारशिला रखी थी। सेंट्रल विस्टा को री-डिवेलप करने का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अहमदाबाद की मैसर्स एचसीपी डिजाइन, प्लानिंग एंड मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को सौंपा गया था। इसके सर्वेसर्वा प्रख्यात आर्किटेक्ट बिमल पटेल हैं। इस फर्म ने मुंबई पोर्ट कॉम्प्लेक्स, गुजरात राज्य सचिवालय, आईआईएम अहमदाबाद के लाजवाब डिजाइन तैयार किए हैं। पर एक दिक्कत है। विमल पटेल को एडवर्ड लुटियंस की तरह अपने साथी आर्किटेक्ट, इंजीनियर और अन्य सहयोगियों के बारे में भी बताना चाहिए। लुटियंस की सरपरस्ती में नई दिल्ली में अनेक प्रोजेक्ट चले थे। उनके आर्किटेक्ट और ठेकेदारों के बारे में सबको पता था। नए राजपथ का डिजाइन किसने बनाया है, किसी को नहीं पता। क्या इसे बिमल पटेल ने ही बनाया है? पुराने राजपथ का डिजाइन एडवर्ड लुटियंस ने तैयार किया था और उनके डिजाइन पर सड़क सरदार नारायण सिंह तैयार की थी।

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उस संसद से लेकर नई संसद तक
नए सेंट्रल विस्टा के तहत देश को नई संसद भी मिल रही है। माना जा रहा है कि इसका डिजाइन बिमल पटेल ने बनाया है। देश को नई संसद इस साल दिसंबर के महीने तक मिलने की उम्मीद है। बेहतर होता कि देश को पता चलता कि विमल पटेल की टीम में कौन-कौन आर्किटेक्ट हैं। अभी यह कहना जल्दी होगा कि नई संसद भवन का डिजाइन किस स्तर का होगा। हां, इतना तो जान ही लें कि नई बनने वाली इमारतें डिजाइन के लिहाज से उन इमारतों से कतई उन्नीस नहीं होंगी, जिन्हें लुटियंस और उनके साथियों ने डिजाइन किया था। इस बीच, मौजूदा संसद भवन का डिजाइन हरबर्ट बेकर ने बनाया था। उन्होंने अपने सीनियर और नई दिल्ली के चीफ टाउन प्लानर एडवर्ड लुटियंस के परामर्श से संसद भवन का डिजाइन तैयार किया था। इस निर्माण के वक्त दोनों में कई मुद्दों पर बहस होती रहती थी। बेकर इसके बड़े हाल के ऊपर गुंबद बनवाना चाह रहे थे जबकि लुटियंस इसे गोलाकार रखने का पक्ष में थे। संसद भवन का व्यास 125 गज है और 75 फुट ऊंचा है। इसे बनाने में 5 साल लगे थे। तब इसका नाम कौंसिल हाउस था। इसका लॉर्ड इरविन ने 18 जनवरी 1927 को उद्घाटन किया था।
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हरबर्ट बेकर: अफ्रीका से दिल्ली
एडवर्ड लुटियंस को इस बात के लिए क्रेडिट देना होगा कि उन्होंने अपने साथी आर्किटेक्ट के काम की सबको जानकारी दी। हरबर्ट बेकर ने संसद भवन के अलावा साउथ और नॉर्थ ब्लाक के साथ जयपुर हाउस, हैदराबाद हाउस, बड़ौदा हाउस के भी डिजाइन तैयार किए थे। वे एडविन लुटियंस के आग्रह पर 1912 में भारत आए। दोनों पहले से मित्र थे। नई राजधानी नई दिल्ली बननी थी। इसलिए लुटियंस उन्हें अपनी कोर टीम में रखना चाहते थे। बेकर को इस बात का श्रेय जाता है कि उन्होंने ही भारत के मौसम के मिजाज को देखते हुए संसद भवन में जाली और छज्जों के लिए विशेष जगह बनाई। उसके बाद तो ये एक ट्रेंड सा बन गया। बेकर ने भारत आने से पहले 1892 से 1912 तक दक्षिण अफ्रीका और केन्या में बहुत सी सरकारी इमारतों और गिरिजाघरों के भी डिजाइन तैयार किए। पर उन्होंने नई दिल्ली के किसी गिरिजाघर का डिजाइन नहीं तैयार किया।

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