भृगु ऋषि ने विष्णु भगवान को लात क्यों मारी थी

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भृगु ऋषि
भृगु ऋषि

आपने ये बात तो कभी ना कभी जरूर सुनी होगी कि एक बार भृगु ऋषि ने क्रोध में आकर भगवान विष्णु जी की छाती पर लात मार दी थी. कई शास्त्रों में इस घटनाक्रम का बड़ी ही खूबसूरती के साथ वर्णन किया गया है. ऐसा बताया जाता है कि एक बार भृगु ऋषि और अन्य मुनियों ने मिलकर यज्ञ का आयोजन किया. इस यज्ञ में नारद जी भी उपस्थित थे. नारद जी ने ऋषियों से सवाल किया कि आप लोग इस यज्ञ का फल किसे देना चाहेंगे. इस पर ऋषियों का जवाब था कि तीनों देवों में सबसे श्रेष्ठ देव को ही इस यज्ञ का फल दिया जाएगा. लेकिन अब सबसे बड़ी समस्या यह थी कि ये कैसे पता लगाया जाए कि ब्रम्हा, विष्णु और महेश में सबसे श्रेष्ठ कौन हैं. इसका फैसला करने के लिए भृगु ऋषि को चुना गया.

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भगवान विष्णु

ऐसा बताया जाता है कि भृगु ऋषि ने सबसे श्रेष्ठ देव की पहचान करने के लिए तीनों देवताओं के पास जाने का निर्णय लिया. जिसके बाद वो सबसे पहले ब्रम्हा जी के पास गए. ब्रम्हा जी उस वक्त सरस्वती जी के साथ बातें करने में व्यस्त थे. इस पर भृगु ऋषि को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने ब्रम्हा जी को श्राप दिया कि पृथ्वी पर आपकी पूजा नहीं की जाएगी.

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भगवान विष्णु

इसके बाद भृगु ऋषि भगवान शंकर जी के पास पहुंचे. शिव जी भी उस समय माता पार्वती के साथ बातें करने में व्यस्त थे. भृगु ऋषि ने शंकर जी को श्राप दिया कि पृथ्वी पर केवल शिवलिंग की ही पूजा की जाएगी.

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अंत में भृगु ऋषि ने विष्णु जी के पास गए. ऐसा माना जाता है कि विष्णु भी माता लक्ष्मी के साथ वार्तालाप में व्यस्त थे. इस पर गुस्से में भृगु ऋषि ने भगवान विष्णु जी की छाती पर लात मार दी. जिसके बाद भी भगवान विष्णु जी को क्रोध नहीं आया, बल्कि उन्होंने अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी. विष्णु के ऐसा करने पर भृगु ऋषि काफी प्रसन्न हुए और उन्होंने कहा कि विष्णु जी ही सबसे श्रेष्ठ देवता माना.