किस भारतीय मूल के अरबपति को 2 अरब डॉलर की कम्पनी मात्र 73 रूपए में बेचनी पड़ी?

329
news

संयुक्त अरब अमीरात में भारतीय मूल के अरबपति बीआर शेट्टी की फिनाब्लर पीएलसी अपना कारोबार इजराइल-यूएई कंजोर्टियम को मात्र एक डॉलर (73.52 रुपये) में बेच रही है। बता दें कि पिछले साल से ही उनके सितारे डूबने शुरू हो गए थे। उनकी कंपनियों पर न सिर्फ अरबों डॉलर का कर्ज है बल्कि उनके खिलाफ फर्जीवाड़े की जांच भी चल रही है।

पिछले दिसंबर में उनके बिजनेस की मार्केट वैल्यू 1.5 बिलियन पाउंड ($2 बिलियन) रह गई थी, जबकि उन पर एक अरब डॉलर का कर्ज बताया जा रहा था। बीआर शेट्टी की फाइनेंशियल सर्विस कंपनी फिनाब्लर ने घोषणा की कि वह ग्लोबल फिनटेक इन्वेस्टमेंट्स होल्डिंग के साथ एक समझौता कर रही है। जीएफआईएच इजरायल के प्रिज्म ग्रुप की सहयोगी कंपनी है, जिसे फिनाब्लर पीएलसी लिमिटेड अपनी सारी संपत्ति बेच रही है।

br shetty non fiii -

पिछले साल दिसंबर में फिनाब्लर की मार्केट वैल्यू दो बिलियन डॉलर थी। कंपनी द्वारा पिछले साल अप्रैल साझा की गई जानकारी के मुताबिक उस पर एक बिलियन डॉलर से ज्यादा का कर्ज है। बाताया जा रहा है कि यह सौदा संयुक्त अरब अमीरात और इजरायल की कंपनियों के बीच महत्वपूर्ण वाणिज्यिक लेनदेन को लेकर भी है।

बीआर शेट्टी ने 1980 में अमीरात के सबसे पुराने रेमिटेंस बिजनेस यूएई एक्सचेंज की शुरुआती की। यूएई एक्सचेंज, यूके की एक्सचेंज कंपनी ट्रैवलेक्स तथा कई छोटे-छोटे पेमेंट सॉल्यूशंस प्रोवाइडर्स तथा शेट्टी की फिनब्लर के साथ मिलकर 2018 में सार्वजनिक हुई।

बता दें कि यूएई में हेल्थकेयर इंडस्ट्री में काफी संपत्ति बनाने वाले 77 साल के शेट्टी पहले भारतीय हैं। उन्होंने 1970 में एनएमसी हेल्थ की शुरुआत की थी, जो आगे चलकर साल 2012 में लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट होने से पहले देश की अपने तरह की पहली कंपनी बनी. कहा जाता है कि 70 के दशक में शेट्टी महज आठ डॉलर लेकर यूएई पहुंचे थे और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी।

br shetty non -

शेट्टी ने 1970 में एनएमसी हेल्थ की शुरुआत की। उन्होंने हेल्थकेयर इंडस्ट्री में काफी पैसे बनाए थे। इसके बाद उन्होंने साल 1980 में यूएई एक्सचेंज की शुरुआती की।साल 2019 में ही शेट्टी की कंपनियों के शेयरों पर स्टॉक एक्सचेंजों में कारोबार करने को लेकर रोक लग गई थी। कंपनियों की साख समाप्त हो जाने से कोई भी उनमें निवेश करने को तैयार नहीं था। ऐसे में दो देशों के बीच बने कंसोर्टियम ने इस कंपनी को लेने का निर्णय लिया है।

यह भी पढ़े:बिहार पुलिस भर्ती में क्या-क्या लगता है?