भगवान शिव शंकर की महिमा के बारे में तो आप सभी जानते ही होगें. इनको सबसे भोला भगवान माना जाता है. ये अपने भक्तों का हमेशा साथ देते हैं. इनकी पूजा करने पर भगवान शिव जल्दी प्रसन्न हो जाता हैं तथा मनचाहा वरदान देते हैं.लेकिन क्या आप जानते हैं कि माता पार्वती और भगवान शिव के पोतों का क्या नाम था ?
भगवान शिव के 2 पुत्र श्री गणेश और कार्तिकेय थे. गणेश भगवान को बुद्धि का देवता भी माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि वेदों की रचना वेद व्यास जी ने की थी, लेकिन उनको लिखा भगवान गणेश जी ने था. गणेश जी भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र थे. भगवान गणेश जी की दो पत्नियां थी जिनका नाम रिध्दि और सिध्दि थी. इन दोनों पत्नियों से भगवान गणेश को एक एक पुत्र की प्राप्ति हुई. जिनका नाम शुभ और लाभ है. भगवान शिव के पोतों का नाम भी शुभ और लाभ हुआ.
भगवान गणेश जी को बुद्धि का देवता कहा जाता है. उसके पीछे एक पौराणिक कथा है कि एक बार भगवान गणेश और उनके भाई कार्तिकेय के बीच बहस होती है. दोनों अपने आप को एक दूसरे से श्रेष्ट बताते हैं. लेकिन जब कोई निष्कर्ष नहीं निकलता तो दोनों भगवान शिव और माता पार्वती के पास जाते हैं तथा अपनी बात रखते हैं. भगवान शिव और माता पार्वती उनको कहते हैं कि जो भी इस ब्रहमाण्ड का चक्र सबसे पहले लगाकर आएगा वहीं सबसे श्रेष्ट माना जाएगा. दोनों इस बात को स्वीकार कर लेते हैं.
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इसके बाद कार्तिकेय ब्रहमाण्ड का चक्र लगाने चले जाते हैं तथा श्री गणेश भगवान माता-पिता का चक्र लगाते हैं. इसके पीछे गणेश जी कारण बताते हैं कि मेरे लिए मेरे माता-पिता ही ब्रहमाण्ड के समान हैं. इसलिए मैने ब्रहमाण्ड का चक्र पूरा कर लिया है. गणेश को विजेता घोषित किया जाता है तथा उनको बुद्धि का देता माना जाता है.