सवाल 45- ताजमहल की रहस्यमयी बाते क्या है?

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सवाल 45- ताजमहल की रहस्यमयी बातें क्या है

ऐसा कहा जाता है कि मुग़ल बादशाह शाहजहां हिन्दुस्तान की सरज़मीं पर अपनी बेग़म मुमताज़ महल की याद में ताजमहल बनवाया था. मोहब्बत के बाद यदि उनका दिल किसी चीज़ में लगता था, तो वो था आर्किटेक्चर. मुगल बादशाह होने के साथ-साथ वे आर्किटेक्चर की दुनिया के भी बादशाह थे. इमारतों के लिए उनका जुनून हमेशा बरकरार रहा.


मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी तमाम दौलत अपने उस ख़्वाब के नाम कर दी थी, जिसे हम ताजमहल के नाम से जानते हैं. शांत यमुना नदी के एकांत तट पर इस शानदार मकबरे की नींव डाली गयी थी. शाहजहां पत्थर तराशने के हुनर के लिए बेहद मशहूर थे. उन कारीगरों ने कभी सोचा भी नहीं होगा, कि जिन पत्थरों को वे तराश रहे हैं, उन पत्थरों से निर्मित इमारत दुनिया भर के चुनिन्दा अजूबों में शामिल होगी.


कारीगर जिस विश्वप्रसिद्ध इमारत का निर्माण करने में दिन-रात लगे हुए थे, उनकी मिसालें सिर्फ बीत चुकी और मौजूदा पीढ़ियों ने ही नहीं दी, बल्कि आने वाली पीढ़ियां भी देंगी. इस इमारत के निर्माण में बीस साल तक बीस हज़ार मजदूर लगे रहते थे. एक बेग़म की कब्र के नाम से प्रसिद्ध इस इमारत के निर्माण में आज के समय के बीस करोड़ डॉलर से कहीं अधिक रुपये खर्च हुए थे.


ताजमहल जैसी खूबसूरत इमारत को किसने किसके लिए बनाया, क्यों बनवाया, कैसे बनवाया और कहां बनवाया, ये बातें सभी लोग जानते हैं और इसे लेकर कई तरह के मत भी प्रचलित है, लेकिन कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें अधिकतर लोग नहीं जानते. हालांकि इंटरनेट के इस दौर में सबकुछ जानना आसान है. फिर भी आपको कुछ ऐसे रहस्यमयी तथ्य बता रहे है जो इस खूबसूरत इमारत की चकाचौंध में दिखाई नही पड़ते है.

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रहस्यमयी बाते
ताजमहल के मकबरे की छत पर एक छेद है. मकबरे की छत के इस छेद से टपकती बूंद के पीछे कई रहस्य हैं, जिसमें सबसे पुरानी रहस्यमयी बात यह है, कि ताजमहल के बनने के बाद शाहजहां ने जब सभी मज़दूरों के हाथ काटने की घोषणा की थी, तब मजदूरों ने ताजमहल को पूरा करने के बावजूद इसमें एक ऐसी कमी छोड़ दी, जिससे शाहजहां का इमारत को पूरा बनाने का सपना कभी पूरा नही हो सका.


शाहजहां ने जब पहली बार ताजमहल के बारे में बताया तो कहा था कि ‘ये इमारत सिर्फ प्यार की कहानी बयां नहीं करेगी, बल्कि उन सभी लोगों को दोषमुक्त करेगी जो मनुष्य का जनम लेकर हिन्दुस्तान की इस पाक ज़मीन पर अपने कदम रखेंगे. और इसकी गवाही चांद-सितारे देंगे.’


ऐसा माना जाता है कि जिन मजदूरों ने ताजमहल को बनाया था, शाहजहां ने उनके हाथ कटवा दिये थे. अगर बात करे इतिहास कि तो ताजमहल के बाद भी कई इमारतों को बनवाने में उन लोगों ने अपना योगदान दिया जिन्होंने ताजमहल बनाया था. उस्ताद अहमद लाहौरी उस दल का हिस्सा थे, जिन्होंने ताजमहल जैसी भव्य इमारत का निर्माण किया था और जिन्होंने लाल किले कि देखरेख में किले के निर्माण कार्य को शुरू किया था.

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यदि आप ताजमहल को ध्यान से देखेगें तो उसकी चारों मीनारें सीधी खड़ी न होकर एक दूसरे की और झुकी हुई है. इमारतों का ये झुका हुआ निर्माण बिजली और भूकंप से मुख्य गुंबद पर न गिरे इसलिए किया गया था, वहीं कुछ का कहना है कि चारों मिनारे गुंबद को झूक कर सलाम कर रही है. इसलिए वह झूकी हुई है. बिहार के सुप्रसिद्ध ठग नटवरलाल के बारे में यह कहानी काफी मशहूर है, कि एक बार उसने ताजमहल को मंदिर बता कर बेच दिया था.


बता दें कि जब ताजमहल बना था, तो उसकी कलाकृति में 28 तरह के कीमती पत्थरों को लगाया गया था. उन पत्थरों को शाहजहां ने चीन, तिब्बत और श्रीलंका से मंगवाया था. बाद में ब्रिटिश काल के समय में इन बेशकीमती पत्थरों को अग्रेजों ने निकाल लिया था, जिसके बारे में यह बताया जाता है कि वह बेशकीमती पत्थर किसी की भी आंखों को हैरान करने की काबिलियत रखता था. ताजमहल के बनने में लगभग 32 मिलियन खर्च हुए थे, जिसकी आज की कीमत 106.28 मिलियन से भी अधिक है.


ताजमहल की ऊंचाई कुतुबमीनार से अधिक है. देश की सबसे ऊंची इमारत कुतुबमीनार को कहा जाता है लेकिन ताजमहल के सामने यह इमारत छोटी पड़ जाती है. ताजमहल में लगे सारे फव्वारे एक ही समय पर काम करते है. और दिलचस्प बात तो यह है कि ताजमहल मे लगे फव्वारे किसी पाईप से नही जुड़े है. बल्कि हर फव्वारे के नीचे तांबे का टैंक बना हुआ है, जो एक ही समय पर भरता है और दबाव बनने पर एकसाथ काम करता है.

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शाहजहां का सपना था कि इस ताजमहल को बाद में काले ताजमहल में बनवायें, लेकिन उनके बेटे औरंगज़ेब ने उन्हें कैद कर लिया और उनका सपना, सपना ही बनकर रह गया.


शायद सभी लोग यह बखूबी जानते होगे कि ताजमहल का रंग बदलता है. ताजमहल अलग-अलग पहर में अलग अलग रंगों में दिखाई देता है और इस हैरानी की वजह है ताजमहल का संगमरमरीय सफेद रंग का होना. सफेद रंग हर रंग में मिल कर उसी का रंग ले लेता है. सुबह देखने पर ताजमह गुलाबी दिखता है, दोपहर को दूधिया सफेद, शाम होते-होते तक नारंगी और रात की चांदनी में सुनहरा दिखता है.

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कहा जाता है, कि ताजमहल शाहजहां ने नही बल्कि समुद्रगुप्त ने छठवीं शताब्दी में बनवाया था. जिस जगह पर हम आज की तारीख में ताजमहल जैसी भव्य इमारत देख पा रहे हैं, वहां पहले शिव मंदिर था, जिसे तेजोमहालय के नाम से जाना जाता था और उसकी छत से टपकने वाला पानी शिव जी के शिवलिंग पर बूंद-बूंद करके टपकता था.

आशा करते है कि आप सभी को इस प्रश्न का उत्तर मिल गया होगा. आप लोग ऐसे ही प्रश्न पूछते रहिए हम उन प्रश्नों के उत्तर आपको खोजकर देंगे. आप कमेंट बॉक्स में अपनी राय और कमेंट करके अपने प्रश्नों को पूछ सकते है. इस सवाल को पूछने के लिए आपका धन्यवाद