134 ए अधिनियम क्या और वर्तमान में इसका महत्व ? ( What is 134A Act and its importance at present ? )
हमें कई बार अखबार में सुनने को मिलता है कि सरकार की तरफ से 134 ए अधिनियम लागू कर दिया गया. कुछ समय बाद सरकार ने कदम पीछे खिंच लिए. इसके बाद विरोध होता है तथा सरकार को वापस से इसे लागू करना पड़ता है. इसी कारण लोगों के मन में इससे संबंधित कई तरह के सवाल पैदा होते हैं. ऐसा ही एक सवाल है कि आखिर 134 ए अधिनियम क्या है. इस अधिनियम का वर्तमान में क्या महत्व है. इससे आम लोगों को क्या क्या फायदे होते हैं. आमतौर पर गरीब माँ बाप के लिए ये अधिनिमय एक सपना पूरा होने जैसे है. अगर आपके मन में भी इससे संबंधित सवाल हैं, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.
134 ए अधिनियम क्या –
अगर इस नियम को साधारण शब्दों में समझें , जो यह गरीब लोगों के बच्चों को भी बेहतर शिक्षा की उम्मीद दिलाता है. वर्तमान समय में अमीरी और गरीबी का अनुपात बहुत बढ़ गया है. जबकि शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी स्कूलों के हालात किसी से छूपे हुए नहीं हैं. इसी कारण हर कोई चाहता है कि उनके बच्चे किसी बड़े प्राइवेट स्कूल में पढ़ें. लेकिन बड़े स्कूलों की फीस इतनी होती है कि किसी भी गरीब इंसान के लिए उसे चुकाना संभव नहीं होता है. इसी कारण उन गरीब माँ बाप को कुछ राहत देने के लिए यह नियम लाया गया है. इसके अनुसार अब किसी भी प्राइवेट स्कूल में 10 फीसदी सीटें गरीब लोगों के बच्चों के लिए आरक्षित रहेगीं तथा इसके सात ही उन्हें इसके लिए फीस भी नहीं देनी होती है. 134 ए अधिनियम के तहत पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी स्कूल के अनुसार फीस देनी पड़ती है.
134 ए अधिनियम के तहत फीस-
अगर 134 ए अधिनियम के तहत बच्चों का दाखिला हुआ है, तो उनकी फीस नामात्र की ही होती है. हरियाणा में पहली से 8 वीं कक्षा तक पढ़ने वाले बच्चों को कोई फीस नहीं देनी पड़ती है. इसके अलावा 9 वीं और 10 वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्रों को 25 रूपये मासिक शुल्क देना पड़ता है. 11 वीं तथा 12 वीं में कला स्ट्रीम के छात्रों को 50 रूपये तथा विज्ञान विषय के छात्रों को 75 रूपये मासिक फीस देनी पड़ती है. हालांकि यह फीस सरकारी नियम के अनुसार बढ़ भी सकती है. इसके वर्तमान फीस स्ट्रेक्चर को जरूर देखें.
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इसके अलावा यह बात भी जरूरी है कि अगर किसी विद्यालय मे आपका पेपर के आधार पर दाखिला हो जाता है, तो आपको प्रत्येक वर्ष परीक्षा नहीं देनी पड़ती है. यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप उस विद्यालय में कब तक पढ़ना चाहते हैं. अगर आप विद्यालय बदलना चाहते हैं, तो जरूर आपको परीक्षा देनी होती है. इसके अलावा यह अधिनियम गरीब लोगों के लिए एक वरदान की तरह है. जिसके कारण गरीब माँ बाप भी अपने बच्चे को बेहतर शिक्षा दिलवाने का सपना देख सकता है.
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