रामनवमी के दिन करे झंडा पूजा मिलेगी विजय

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भगवान राम

रामनवमी का त्यौहार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है, हिंदू धर्मशास्त्रों के अनुसार इस दिन मर्यादा-पुरूषोत्तम भगवान श्री रामचंद्र जी का जन्म हुआ था. इसी दिन एक विशेष आयोजन किया जाता है, जिसको झंड़ा पूजा कहते हैं. आज हम आपको बताएंगें कि ऐसा क्यों किया जाता है ? इसका क्या महत्व है ?

Shri RamNavmi

रामनवमी में झंडे की पूजा क्यों करते हैं?

ऐसी मान्यताएं रही हैं कि सिर्फ हनुमान जी कलयुग में भी प्रत्यक्ष रूप से रहते हैं. हनुमान जी रामचंद्र के बहुत बड़े भक्त थे. ऐसा कहा जाता है कि जहां भी रामचंद्र जी की उपस्थिति होती है. वहां पर हनुमान जी जरूर होते हैं. रामनवमी को भगवान रामचंद्र जी का जन्म हुआ था, ऐसे में हनुमान जी की इस समय उपस्थिति होती हैं. इसी कारण रामनवमी को ध्वज अर्पण या झंड़ा पूजा का विशेष महत्व है.

रामनवमी में झंडे की पूजा

इसके साथ ही एक दूसरी मान्यता यह है कि जब महाभारत काल में अर्जुन और कर्ण के बीच युद्ध चल रहा था. उस जब कर्ण तीर चलाता था तब अर्जुन का रथ थोड़ा सा पीछे जाता था. लेकिन जब अर्जुन तीर चलाता तो कर्ण का रथ बहुत पीछे जाता.

इस पर आश्चर्य की बात ये थी कि इसके बाद भी श्री कृष्ण कर्ण की तारिफ कर रहे थे. इसको देखकर अर्जुन को समझ नहीं आया कि श्री कृष्ण भगवान ऐसा क्यों कर रहें हैं. जब उन्होनें पूछा तो श्री कृष्ण से बताया कि अर्जुन तुम्हारे रथ पर मैं बैठा हूँ तथा रथ के ऊपर जो झंड़ा फहरा रहा है, वह हनुमान जी की उपस्थिति का प्रतीक है. उसके बाद भी कर्ण अपने तीरों से तुम्हारें रथ को पीछे धकेल देता है. यहीं कारण है कि मैं उसकी तारीफ कर रहा हूँ. हनुमान जी का ध्वज जहां भी होता है, वह विजय का प्रतीक होता है. हनुमान जी कभी अपने भक्तों का हारने नहीं देते.

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यहीं कारण है कि रामनवमी पर झंड़ा पूजा का अपना विशेष महत्व है.

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