एक रेल हादसा होने पर ही दे दिया रेलमंत्री ने इस्तीफा……………..ऐसे होते थे नेता हमारे!

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हर एक हादसे के बाद दुख जाताया जाता है, गहरी संवेदना व्यक्त की जाती है, घड़ियाली आंसू बहाए जाते हैं। सैकड़ों लोगों की जान जाती है, जान-माल का नुकसान होता है। हर मामले में कुछ अधिकारियों पर उसका ठीकरा फूटता है और हम भूल जाते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि हमारे देश में एक ऐसे भी रेलमंत्री थे जिन्होंने एकमात्र रेल हादसे के बाद ये कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि हमारे विभाग में हुए किसी भी दुर्घटना की जिम्मेदारी मेरी ठहरती है। आइये जानते हैं उनके बारे में-

 

25 नवंबर, 1956 महबूबनगर में रेल हादसा हुआ, कुल 112 लोगों की मौत हुई। तत्कालीन नेहरू सरकार के रेलमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने आगे आकर रेल हादसे की जिम्मेदारी ली और लोकसभा में अपना इस्तीफा सरकार को सौंप दिया। लेकिन नेहरू जी ने इस्तीफा अस्वीकार कर दिया। ठीक इसके तीन महीने बाद ही तमीलनाडू के अरियालूर रेल दुर्घटना में 144 लोग मारे गए। उन्होंने फिर से इस्तीफ दे दिया। नेहरू जी ने इस्तीफा स्वीकारते हुए संसद में कहा कि वह इस्तीफा इसलिए स्वीकार कर रहे हैं कि यह एक नजीर बने। इसलिए नहीं कि हादसे के लिए किसी भी रूप में शास्त्री जिम्मेदार हैं।

जब शास्त्री जी संसद में इस्तीफे की घोषणा कर रहे थे। तब नेहरू जी का कहना था कि शास्त्री को तब तक इंतजार करना चाहिए था जब तक कोई दूसरा ये जिम्मेदारी ना संभाल ले। पर शास्त्री जी कहां मानने वाले थे।

इसलिए जरूरी है कि अगर हम सही मायने में बदलाव चाहते हैं तो सबसे पहले अपनी जिम्मेदारी तय करें और उसे पूरी इमानदारी से निभाएं। लोकतंत्र में बदलाव का सबसे अच्छा तरीका यही हो सकता है।

आज आए दिन हादसे होते रहते हैं। खुलकर लापरवाही की बात सामने भी आती है लेकिन हर कोई अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश में लगा रहता है।