महाराष्ट्र में अलग होंगी भाजपा और शिवसेना की राहें, उद्धव ठाकरे ने सरकार को कहा जुमलेबाज़

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महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी एक साथ आई थी लेकिन आज कल शिवसेना द्वारा जारी किये गए बयानों को सुनके ये साफ़ लगता है कि शिवसेना बीजेपी से अलग होने का पूरा मन बना चूकी है |जहाँ सियासत में ये गठबन्धनों के टूटने का दौर लग रहा है |जहाँ एक तरफ भाजपा ने महबूबा मुफ़्ती से अपना समर्थन छीन लिया ,वहीँ दूसरी तरफ बिहार में भी जेडीयू और भाजपा का गठबंधन टूटने के कगार पर है |

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बीजेपी से अलग होने का मन बना चुकी है शिवसेना
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना प्रमुख उद्दव ठाकरे से मुंबई आकर बात की |दोनों की वार्ता का उद्द्येश्य टूटते हुए गठबंधन को बचाना था जिसके लिए खासतौर पर अमित शाह मुम्बई पहुंचे थे |लेकिन ऐसा लग रहा है कि शिवसेना इस दूरी को कम करने के हित में नहीं है |2019 लोकसभा चुनाव में अपनी रणनीति साफ़ करते हुए उद्धव ठाकरे ने ऐलान किया कि शिवसेना ये चुनाव अकेले ही लड़ेगी और श्रीनिवास वनगा पालघर लोकसभा क्षेत्र से पार्टी के उम्मीदवार होंगे |

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बुलेट ट्रेन का करेंगे विरोध
शिवसेना के 52 वें स्थापना दिवस के मौके पर उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री शिवसेना ही होगा|उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मुंबई-अहमदाबाद के बीच चल रही महत्वाकांक्षी योजना बुलेट ट्रेन के समर्थन में नहीं है और हम उसका पूरा विरोध करेगी |साथ ही पार्टी मुंबई -वड़ोदरा एक्सप्रेस-वे का भी विरोध करेगी |उनका कहना है कि इन योजनाओं के तहत महाराष्ट्र से ज्यादा लाभ गुजरात को मिलेगा |सूत्रों से पता चला है कि पार्टी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने के मूड में है, लेकिन वह लोकसभा चुनाव बीजेपी के साथ ही लड़ेगी, क्योंकि ज्यादातर सांसदों का मानना है कि बीजेपी के साथ रहने ही वे एकजुट विपक्ष के सामने खड़े हो पाएंगे |

बीजेपी लहलहा रही है लेकिन देश का किसान है कोमा में
किसानों की बात करते हुए शिवसेना ने मोदी पे निशाना साधते हुए कहा है कि ,भाजपा फसल की तरह लहलहा रही है और भारत का किसान और उसकी खेती कोमा में जा रही है |और प्रधानमंत्री अभी भी जुमलेबाज़ी में लगे हुए है |शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे संपादकीय में लिखा है कि जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं -उन्होंने कहा मौजूदा सरकार पर यह कहावत एकदम सटीक बैठता है ,क्योंकि देश कि जनता अब घोषणाओं और जुमलेबाजी से थक चुकी है |मोदी पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि ,पीएम ने किसानों से बातचीत के दौरान 2022 तक उनकी आमदनी दोगुनी करने की बात कही लेकिन सवाल तो यह है कि इसमें क्या नया है ?2014 के चुनावी घोषणा पत्र में भी भाजपा ने किसानों को यह आश्वासन दिया था लेकिन असल में हुआ क्या ये हम सब देख सकते है |किस तरह कर्जों के टेल दबकर एक किसान जिंदगी को खोने के लिए मजबूर हो जाता है |

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