सरकारी बंगलों को लेकर दिखा सियासी ट्विस्ट, मायावती से छीना हुआ बंगाल किया शिवपाल के नाम

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उत्तर प्रदेश: उत्तर प्रदेश में बंगले को लेकर हम अक्सर कोई न कोई सियासी विवाद देखने को मिलता है. ये खबर हमेशा से ही सुर्खियाँ बटोर रहीं है. उत्तर प्रदेश में सरकारी आवास का मामल काफी तुल पकड़े रहता है.

बता दें कि राज्य संपत्ति विभाग ने समाजवादी सेक्युलर मोर्चा के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को जो सरकारी बंगाल दिया गया है उस जगह किसी वक्त बसपा सुप्रीमो मायावती का दफ्तर हुआ करता था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मायावती इसी बंगले के पास दूसरे बंगले में शिफ्ट हो गई. अब शिवपाल को आवंटित इस नए बंगले से दोनों ही नेता पड़ोसी हो गए है.

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वहीं, राज्य संपत्ति विभाग के इस फैसले को कुछ लोग राजनीतिक समीकरण भी मान रहें है. आगामी चुनाव में मायावती और अखिलेश बीजेपी के खिलाफ महागठबंधन करने वाले है. ऐसे में शिवपाल पर प्रशासन की इस मेहरबानी से कई कयास भी लगाए जा रहें है. साथ ही भाजपा इस मेहरबानी के द्वारा अखिलेश के खिलाफ शिवपाल को आगे बढ़ाकर चुनाव में जीत हासिल करना चाहते है.

इस बंगले में होगा शिवपाल का ऑफिस

राज्य संपत्ति विभाग ने शिवपाल यादव को 6 एलबीएस (लाल बहादुर शास्त्री) बंगला दिया है. ये बंगला उन्हें बतौर विधायक दिया गया है. बंगले दिए जाने के बाद शिवपाल खुद बंगले में गए और वहां का जायजा भी किया. कहने में यह भी आ रहा है कि इस बंगले में शिवपाल अपनी पार्टी का ऑफिस भी बनाएगी.

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इस बंगले को लेकर काफी विवाद भी हुआ

मायावती को आवंटित इस बंगले को लेकर काफी विवाद भी नजर आ चुका है. ऐसी बात सामने भी आई थी कि इस बंगले का आवंटन कथित रूप से फर्जी आदेश के जरिए हुआ था. ये ही नहीं मायावती को एक साथ दो बंगले आवंटित होने पर भी सवाल किए गए थे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद खाली हुए थे सरकारी आवास

सुप्रीम कोर्ट ने इस साल मई में आदेश दिया था कि पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवंटित किए गए बंगले निरस्त किए जाएं. कोर्ट ने कहा था कि पूर्व मुख्यमंत्री एक आम नागरिक होता इसलिए उसे सरकारी बंगले आवंटित नही होने चाहिए. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश मिनिस्टर सैलरी अलाउंट ऐंड मिसलेनियस प्रॉविजन ऐक्ट के उन प्रावधानों को रद्द किया था, जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले में रहने का आधिकार दिया था.