Kanpur Dehat: कानपुर देहात में बिना मान्यता के मिले 32 मदरसे, कई घरों में हो रहे संचालित

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Kanpur Dehat: कानपुर देहात में बिना मान्यता के मिले 32 मदरसे, कई घरों में हो रहे संचालित

Kanpur Dehat: कानपुर देहात में बिना मान्यता के मिले 32 मदरसे, कई घरों में हो रहे संचालित

कानपुर देहात : जिला अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की ओर से जिले में संचालित मदरसों का सर्वेक्षण पूरा हो गया है। कानपुर देहात में 32 मदरसा अवैध पाए गए हैं। रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। कई मदरसा आवासीय संचालित रहे हैं। इनमें गैर प्रांतों के शिक्षक और अन्य जिलों के बच्चे हैं। 39 मदरसे पंजीकृत मिले हैं। इनमें फर्नीचर, बिजली आदि की सुवधिाएं नहीं मिली हैं।

शासन के निर्देश पर कराए गए सर्वेक्षण में खुलासा हुआ कि जिले में 32 मदरसा ऐसे संचालित हैं, जिनका विभाग के पास कोई रिकार्ड नहीं है। डीएम नेहा जैन ने अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी, बीएसए और सभी तहसीलों के एसडीएम के नेतृत्व में टीम गठित कर मदरसों की 12 बिंदुओं पर जांच करने को कहा गया था। 15 सितंबर से शुरू हुई जांच के दौरान टीमों ने कुल 71 मदरसा संचालित पाए। इसमें 32 की अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड से मान्यता नहीं है। टीमों ने जांच में यह भी पाया कि कई मदरसों के पास न तो कोई उपस्थिति रजिस्टर है और न ही अन्य जरूरी अभिलेख हैं।

पुखरायां, अमरौधा, सट्टी, शाहजहांपुर, संदलपुर समेत जिले के विभिन्न कस्बों में मदरसा संचालित हैं। केसी और पुखरायां में बिना मान्यता के आवासीय मदरसा संचालित हो रहे हैं। इनमें बांदा, हमीरपुर समेत अन्य जिलों के बच्चे मिले हैं। वहीं, शिक्षक बिहार प्रांत के हैं। करीब दस से अधिक मदरसे मस्जिदों में संचालित हो रहे थे। इनके बाहर न तो इन मदरसों से जुड़ा कोई बोर्ड लगा था और न ही इनके पास बच्चों के पंजीकरण व अन्य तथ्यों की जानकारी से जुड़ा कोई रजिस्टर था। मदरसों में कहीं डेस्क बेंच नहीं है तो कहीं ब्लैकबोर्ड तक नहीं। कहीं बिजली नहीं तो कहीं बिल्डिंग नहीं। मान्यता लेकर संचालित मदरसों में दस ऐसे मिले, जहां सुबह दो घंटे ही कक्षाएं चलती हैं, जबकि मदरसा बोर्ड के अनुसार पांच घंटे कक्षाएं संचालित होनी चाहिए। मदरसों में धार्मिक तालीम दी जाती है।

कोरोना काल में बंद हुए मदरसे

जांच टीमों ने यह भी पाया कि कोरोना काल से पहले जिले में करीब सौ मदरसे संचालित हो रहे थे। इन मदरसों में से करीब 20 दो वर्ष के कोरोना काल में बंद हुए हैं। टीमों को न तो यहां कोई मिला न ही कोई बोर्ड ही मिला। ग्रामीणों से मिली जानकारी के आधार पर टीमों ने इन मदरसों के बारे में भी जानकारी एकत्र की।

चंदे से होता है संचालन

जांच टीमों ने मदरसों में मौजूद अभिलेखों को खंगाला तो पाया कि मदरसों को संचालित रखने के लिए कई तरीकों से फंडिंग होती है। कुछ मदरसों का संचालन फसली चंदा करके होता है। कुछ का रमजान में मिले जकात की 25 प्रतिशत राशि से होता है। कुछ मदरसों के अभिलेखों में दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में रहने वालों से चंदा मिलने की बात भी दर्ज पाई गई है।

वहीं, डीएम नेहा जैन ने बताया कि मदरसों के सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया गया है। बिना मान्यता के मदरसों की रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। इन मदरसों के खिलाफ शासन के स्तर से ही फैसला लिया जाना है।
रिपोर्ट-गौरव राठौर

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