भाजपा वाले कर रहे नीतीश की अनदेखी?

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26 जुलाई, को बिहार में महागठबंध का विनाश हुआ नीतीश ने भाजपा के साथ मिलकर 6ठवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और 19 अगस्त को पटना में JDU राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के बाद पार्टी ने केंद्र की एनडीए सरकार में शामिल होने का एलान कर दिया। लेकिन अब लग रहा है कि इससे नीतीश कुमार को खास लाभ नहीं होने वाला है। खबर है कि मोदी सरकार रविवार को मंत्रीमंडल का विस्तार करने जा रही है, पर नीतीश कुमार इससे संतुष्ट नहीं हैं।

बताया जा रहा है कि रविवार को होने जा रहे केबिनेट विस्तार के लिए किसी भी शीर्ष जेडीयू नेता को नहीं बुलाया गया और जदयू के नेता बीजेपी के ऑफर से खुश भी नहीं हैं, तो क्या ऐसा माना जाना चाहिए कि नीतीश कुमार के लगातार दल-बदल के कारण बीजेपी उनकी अनदेखी कर रही है? ऐसा इसलिए भी संभव है क्योंकि बीजेपी वाले ये सोचें कि महागठबंधन में बिखराव के बाद नीतीश कुमार की छवि काफी खराब हो गई है और फिलहाल उनके पास भाजपा को छोड़कर और कोई चारा है नहीं।

गौरतलब है कि कुछ दिन पहले नीतीश कुमार ने पीएम मोदी से मुलाकात भी की थी। लेकिन लगता है कि उस मुलाकात का कोई खास असर नहीं हुआ। हालांकि अब तक ये साफ नहीं हो पाया है कि जेडीयू की मंत्रीमंडल विस्तार को लेकर क्या मांग है या भाजपा उनको क्या जिम्मेदारी देने जा रही है और किस चीज को लेकर जेडीयू में असंतुष्टी है? हां जदयू के मुख्य राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने कहा है कि मंत्रीमंडल विस्तार प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है। इसलिए इसपर हमारा कुछ भी बोलना ठीक नहीं होगा।

देखन ये है कि इस मंत्रीमंडल विस्तार में जदयू के हिस्से में क्या आता है? क्या उनको मोदी सरकार में शामिल होकर वो सब कुछ मिल पाता है जो पाने के लिए वो महागठबंधन से अलग हुए?