भारतीय सेना सरहद पर अपनी सामरिक स्थिति को मजबूत करने के लिए अति दुर्गम पहाड़ो पर सड़क का जाल बिछाने जा रही है. मध्य व उच्च हिमालयी क्षेत्र में सड़क निर्माण बेहद कठिन कार्य था, जो अब स्वदेशी तकनीक से संभव हो सकेगा.
भारतीय सेना को जिसका बहुत समय से इंतजार था, वह सामरिक मजबूती अब उसे मिल सकेगी. उच्च हिमालयी क्षेत्र में सड़क नेटवर्क तैयार हो जाने से चीन के सापेक्ष भारतीय सेना की सामरिक स्थिति मजबूत और बेहतर होगी. हर पल हलचल से भरे हिमालय में हर मौसम को झेलने योग्य सड़कें बनाना अति चुनौतीपूर्ण कार्य है, जो अब तक चाहकर भी संभव नहीं हो सका था. लेकिन अब धनबाद, झारखंड स्थित केंद्रीय ईंधन एवं अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के रॉक मैकेनिक्स एवं ब्लास्टिंग विभाग के वैज्ञानिकों की मदद से सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) इसे पूरा कर सकेगा. सिंफर द्वारा विकसित नियंत्रित विस्फोट की विश्वस्तरीय आधुनिकतम तकनीक का इसमें इस्तेमाल होगा.
कैसे बनेगी मजबूत सड़के ?
बीआरओ ने सिंफर की मदद से पश्चिम से पूर्व तक मजबूत सड़कों का नेटवर्क बनाने की योजना बनाई है. योजना के तहत ये सड़कें भारत के सीमावर्ती राज्यों व मित्र देशों के सीमा क्षेत्र से होकर गुजरेंगी. कई इलाकों में तो 14 हजार फीट की ऊंचाई पर भी सड़क तैयार होगी. रास्ते में सुरंगें भी बनाई जायेंगी. जिन इलाकों में कच्ची सड़कें पहले से हैं, उन्हें चौड़ा और मजबूत बनाया जाएगा ताकि आने जाने में आसानी रहे. इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा की सड़क नेटवर्क के तैयार हो जाने पर सरहद पर 12 महीने चौकसी में आसानी होगी रसद के साथ युद्ध के हालात में सामरिक सामग्री की आवाजाही भी सुगमतापूर्वक संभव हो पाएगी. सिंफर के निदेशक डॉ. पीके सिंह, वैज्ञानिक मदन मोहन सिंह, आदित्य सिंह राणा व नारायण भगत की टीम ने यह बीड़ा उठाया है.
दरअसल पहाड़ो में बर्फ गिरने से सड़के जर्जर हो जाती है. जिसकी वजह से आने जाने में बेहद कठिनाईया आती है. लेकिन अब सड़क बनाने की तकनीक में बदलाव के बाद एसा नहीं होगा. सिंफर की नई तकनीक से बनने वाली सड़के बेहद मजबूत और लम्बा चलेंगी.