न्यायालय में वकील के साथ न्यायाधीश को कैसा व्यवहार करना चाहिए ?

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न्यायालय में वकील के साथ न्यायाधीश को कैसा व्यवहार करना चाहिए ?
न्यायालय में वकील के साथ न्यायाधीश को कैसा व्यवहार करना चाहिए ?

न्यायालय में वकील के साथ न्यायाधीश को कैसा व्यवहार करना चाहिए ? ( How should a judge treat a lawyer in court? )

भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जोकि देश के संविधान के अनुसार चलता है. संविधान में लोगों को कुछ अधिकार दिए गए हैं. जिनसे वे समाज में आत्म-सम्मान के साथ जीवन व्यतीत कर सकें. लेकिन कभी कभी देखने को मिलता है कि ताकत या पैसे के बाहुबली लोग उनका शोषण करते हैं तथा उनके अधिकारों का हनन करते हैं. ऐसी परिस्थितियों में न्याय देने की जिम्मेदारी देश की न्यायपालिका को सौंपी गई है. किसी भी व्यक्ति के साथ गलत होता है, तो उसके दोषी को न्यायपालिका दंड देती है. इसी कारण कोर्ट में होने वाले व्यवहार के बारे में भी लोग जानने के इच्छुक होते हैं. इसी से संबंधित एक सवाल जो आमतौर पर पूछा जाता है कि न्यायालय में वकील के साथ न्यायाधीश को कैसा व्यवहार करना चाहिए ? अगर आपके मन में भी ऐसा ही सवाल है, तो इस पोस्ट में इसी सवाल का जवाब जानते हैं.

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कोर्ट

न्यायालय में वकील के साथ न्यायाधीश का व्यवहार-

वकील और न्यायाधीश दोनों ही समाज के शोषित वर्ग के अधिकारों के लिए काम करते हैं. वकिल दलिल पेश करता है, ताकि किसी भी पीड़ित या आरोपित के साथ अन्याय ना हों. वहीं न्यायाधीश वकील के तर्कों के आधार पर फैसला सुनाकर न्याय करता है. वकील और ऩ्यायाधीश एक-दूसरे के पूरक होते हैं, इस बात से बिल्कुल भी इंकार नहीं किया जा सकता है. अगर व्यवहार की बात करें, तो वकील को भी अपने आत्म-सम्मान के साथ जीने का अधिकार होता है. उसके साथ न्यायाधीश द्वारा भी सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिएं. अगर व्यक्तिगत जीवन में किसी भी कारण से एक-दूसरे से वैचारिक मतभेद हैं, तो उनका असर फैसले पर या न्यायालय में नहीं दिखना चाहिएं. इसके साथ ही यह बात भी ध्यान रखने योग्य होती है कि अगर किसी केस का फैसला किसी वकील के दूसरे पक्ष के समर्थन में आता है, तो इस पर व्यक्तिगत द्वेष नहीं होना चाहिएं. न्यायालय की बात और किसी केस को लेकर वकीलों के बीच की बहस वहीं तक सीमित होनी चाहिएं.

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न्यायालय

इसके साथ ही इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि अगर कोई केस न्यायालय में लंबित है, उससे संबंधित वकील को न्यायाधीश से निजी तौर पर संवाद नहीं करना चाहिएं. वकील का काम एक गरिमा पूर्ण होता है. उसे रिश्वत या जबरदस्ती गवाह को बदलकर फैसले को प्रभावित नहीं करना चाहिएं. ऐसा करने से लोगों का न्यायपालिका से विश्वास कम होता है.

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न्यायाधीश को हम आमतौर पर जज भी कह देते हैं. इनका पद बहुत ही गरिमापूर्ण माना जाता है. ये न्यायालय की अध्यक्षता करते हैं. यह केस पर निर्भर करता है कि इनकी संख्या कितनी होती है. वकीलों के तर्कों को सुनने के बाद ये न्याय के लिए अपना फैसला सुनाते हैं तथा दोषी को सजा भी सुनाते हैं. न्यायाधीश का कर्तव्य होता है कि वह निष्पक्ष होकर फैसला सुनाए.

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