दिल्ली के कुतुब मीनार का अदभुत इतिहास !
क़ुतुब मीनार को दिल्ली का दिल भी कहा जाता है। यह भारत के धरोहर और विराट इतिहास को दर्शाता है। क़ुतुब मीनार दिल्ली की सबसे पुरानी इमारतों में से एक है। जो भारत की सबसे ऊँची मीनार है। क़ुतुब मीनार भारत का सबसे खास और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। क़ुतुब मीनार दिल्ली के दक्षिण इलाक़े में महरौली में है। यह इमारत हिंदू-मुग़ल इतिहास का एक बहुत खास हिस्सा है। कुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा भारत के सबसे पुराने वैश्विक धरोहरों की सूचि में भी शामिल किया गया है।
क़ुतुब मीनार दुनिया की सबसे बड़ी ईटों की दीवार है जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है। मोहाली की फतह बुर्ज के बाद भारत की सबसे बड़ी मीनार में क़ुतुब मीनार का नाम आता है। क़ुतुब मीनार के आस-पास परिसर क़ुतुब काम्प्लेक्स है जो कि यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साईट भी है।दिल्ली सल्तनत के संस्थापक क़ुतुब-उद-दिन ऐबक ने ईस्वी सन् 1200 में कुतुबमीनार का निर्माण करवाना शुरू किया था। इसके बाद 1220 में ऐबक उत्तराधिकारी और पोते इल्तुमिश ने इस मीनार में तीन मंजिल और बनवा दी थी। इसके बाद 1369 में सबसे उपर वाली मंजिल बिजली कड़कने की वजह पूरी तरह से टूट कर गिर गई। इसके बाद फिरोज शाह तुग़लक़ ने एक बार फिर से कुतुब मीनार का निर्माण करवाना शुरू किया और वो हर साल 2 नई मंजिले बनवाते रहे।
उन्होंने मार्बल और लाल पत्थर से इन मंजिलों को बनवाया था। कुतुबमीनार का निर्माण करवाना शुरू ऐबक ने किया था और पूरा करवाया इल्तुतमिश ने और 1369 में मीनार को दुर्घटना के कारण टूट जाने के बाद दुरुस्त करवाया फिरोजशाह तुगलक ने। क़ुतुब मीनार की सबसे खास बात यह है कि यहाँ परिसर में एक लोहे खंभा लगा हुआ है जिसको लगभग 2000 साल हो गए हैं लेकिन अब तक इसमें जंग नहीं लगी है। लोहे के खम्भे में इतने सालों तक जंग न लगना अपने आप में एक बहुत बड़ी बात है।
क़ुतुब मीनार का इतिहास काफी ही अनूठा है , देश ही नहीं विदेश से लोग इसकी एक झलक पाने को आते है। दिल्ली स्थल के दौरान अगर क़ुतुब मीनार न देखा तो दिल्ली दर्शन अधूरा है। यह हमारे देश की ऐसी धरोहर जिससे हमर देश के संस्कृति और सभ्यता का पता चलता है।
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