आजादी के दीवानों की वो बातें जो आपको नहीं है पता

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दोस्तों मंगलवार को हम अपना 71वां स्वतंत्रा दिवस का उत्सव मनाने जा रहे हैं। लेकिन भारत को आजाद कराने में जिन सपूतों का सबसे ज्यादा योगदान रहा है। उनके बारे में हम आपको कुछ ऐसी बातें बताने वाले हैं जो शायद ही आपको मालूम होगा-

शहीद भगत सिंह

दोस्तों आपको मालूम है कि जब शहीद भगत सिंह (अंग्रेजों की खिलाफत) क्रांतिकारी मामलों में ज्यादा शामिल होने लगे तो उनको इन चीजों से दूर रखने के लिए उनके पिता जी ने उनके घर के आस-पास एक दूध की डेयरी खोल दी ताकि वो काम में फंस जाए, पर वो कहां मानने वाले थे। जितना दूध वो बेचते नहीं थे, उससे ज्यादा साथियों समेत मिलकर पी जाते थे।

दोस्तों शहीद भगत सिंह को रसगुल्ला बहुत पसंद था। वो फिल्म देखने के भी बहुत शौकीन थे, कभी-कभी तो ऐसा होता था कि वो खाने के पैसों से भी फिल्म देख लिया करते थे।

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शहीद शिवराम हरि राजगुरू

शहीद राजगुरू महाराष्ट्र के रहने वाले थे, दोस्तों क्रांतिकारियों में वो अकेले थे जो मरने को सबसे ज्यादा उतावले रहते थे, यही नहीं वो शिव के उपासक तो थे ही बल्कि अव्वल किस्म के निशानची (शूटर) भी थे। लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिए जिस अंग्रेज अधिकारी सॉन्डर्स की हत्या की गई थी उसे सबसे पहली गोली राजगुरू ने ही मारी थी।

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शहीद सुखदेव सिंह

शहीद सुखदेव सिंह एचएसआरए की रीढ़ थे। ऐसा कहा जाता है कि सॉन्डर्स की हत्या के बाद जब पार्टी ने असेंबली बम कांड के लिए भगत सिंह को भेजने से इंकार कर दिया था तो सुखदेव ने ही उन्हें असेंबली बम कांड को अंजाम देने के लिए राजी किया था, क्योंकि उनका मानना था कि हम बम बिस्फोट करके जिस संदेश को भारत की जनता और अंग्रेजों तक पहुंचाना चाहते हैं उसे सिर्फ भगत सिंह ही पहुंचा सकता है, क्योंकि भगत सिंह अच्छी अंग्रेजी बोलता है और वहां असेंबली में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या ज्यादा होगी।

दोस्तों ये भारत मां के वो जियाले हैं जिन्होंने अपने लिए कभी कुछ नहीं सोचा, जो सोचा और किया बस अपने देश के लिए किया। इसलिए हमारा ये कर्तव्य है कि हम इनके सपनों के मुताबिक भारत का निर्माण करें और इनकों सच्ची श्रद्धांजलि दें।

Bhagat Singh Sukhdev Thapar and Shivaram Rajguru -