E-cigarette news: धुएं के फलने का कारोबार, जिसने गरबा को भी नहीं बख्शा

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E-cigarette news: धुएं के फलने का कारोबार, जिसने गरबा को भी नहीं बख्शा

E-cigarette news: धुएं के फलने का कारोबार, जिसने गरबा को भी नहीं बख्शा

नई दिल्ली: सोशल मीडिया पर आजकल गुजरात के वडोदरा का एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें एक युवती गरबा में धुआं उड़ाती नजर आ रही है। माना जा रहा है कि युवती गरबा करते समय ई-सिगरेट (E-cigarette) का सेवन कर रही थी। देश में 2019 में ही ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। तब सरकार ने कहा था कि ई-सिगरेट की ऑनलाइन बिक्री करने वाली कंपनियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। लेकिन इस तरह की सिगरेट की बिक्री जारी है। ई-सिगरेट में परंपरागत तंबाकू की जगह पर लिक्विड केमिकल्स को गर्म किया जाता है। पीने वाला व्यक्ति इसके धुएं को अंदर खींचता है। ई-सिगरेट भी सेहत के लिए खतरनाक माना जाता है। यही वजह है कि सरकार ने इस पर बैन लगाने का फैसला लिया था।

भारत सरकार सितंबर 2019 में देश में ही ई-सिगरेट पर बैन लगा था लेकिन इसके बावजूद सिगरेट की दुकानों और ऑनलाइन मार्केटप्लेस में यह आसानी से उपलब्ध है। भारत में सबसे ज्यादा बिकने वाली ई-सिगरेट ऐसी हैं जिन्हें एक बार यूज करने के बाद दोबारा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है। इनकी कीमत 500 रुपये से 3500 रुपये तक है। इनमें से ज्यादातर सिगरेट चीन में बनी हैं। iGet, Yuoto और Dyb जैसे ब्रांड्स ज्यादा से ज्यादा ग्राहकों को लुभाने के लिए ‘Lush Fruit’, ‘Cola Ice’ और ‘Iced Strawberry’ जैसे फ्लेवर्स के साथ ई-सिगरेट बेचते हैं।

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कहां से आ रही है ई-सिगरेट
भारत में बैन के बावजूद ई-सिगरेट्स को अच्छे ऑर्डर मिल रहे हैं। यही वजह है कि चोरी-छिपे विदेशों से ई-सिगरेट भारत लाई जा रही है। हाल में गुजरात के मुंद्रा पोर्ट पर डीआरआई (DRI) की टीम ने 48 करोड़ रुपये की ई-सिगरेट जब्त की थी। चीन से मुंद्रा पोर्ट पहुंचे दो कंटेनरों में डीआरआई को 48 करोड़ रुपये की ई-सिगरेट मिली थी। डीआरआई टीम को एक कंटेनर में ई-सिगरेट की 2 लाख 400 छड़ें मिलीं थीं। भारत ही नहीं अमेरिकी भी चीन से आ रही ई-सिगरेट की समस्या से परेशान है। एक रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिकी में अब भी कम से कम 20 ब्रांड ई-सिगरेट बेच रहे हैं जिनमें से अधिकांश चीन में बने हैं।

क्या होती है ई-सिगरेट?
नॉर्मल सिगरेट और ई-सिगरेट में सबसे बड़ा फर्क है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में तंबाकू नहीं होता। ई-सिगरेट एक खास प्रकार का इलेक्ट्रॉनिक गैजेट है। ई-सिगरेट को बिल्कुल सिगरेट की तरह जाता है। इसे बैटरी के जरिए चलाया जाता है। इसके अंत में एक एलईडी (LED) बल्ब लगा होता है। कश लगाने पर ये बल्ब जलता है और सिगरेट के तंबाकू जलने जैसा फील देता है। इसके कई फ्लेवर आते हैं। इस गैजेट को साधारण सिगरेट और तंबाकू के बदले इस्तेमाल किया जाता है। इस गैजेट का आकार और रूप असली सिगरेट की तरह होता है।

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कितने का है मार्केट
Prescient and Strategic Intelligence की जुलाई 2019 में आई एक रिपोर्ट के मुताबिक देश में ई-सिगरेट का मार्केट तेजी से फलफूल रहा था। 2018 में इसका मार्केट 78 लाख डॉलर का था और माना जा रहा था कि 2024 तक यह 26.4 फीसदी की सालाना रफ्तार से 4.53 करोड़ डॉलर पर पहुंच जाएगा। यह खासकर युवाओं के बीच तेजी से पॉपुलर हो रही है। बैन होने से पहले भारतीय बाजार में 460 ई-सिगरेट कंपनियां थीं। उनका कारोबार करीब 800 करोड़ रुपये के आस-पास था जबकि ब्लैक मार्केट 1500 करोड़ रुपये का था।

किसने बनाई ई-सिगरेट ?
चीन के फार्मासिस्ट होन लिक ने 2003 में ई-सिगरेट बनाई थी। बाद में चीन की कंपनी गोल्डन ड्रैगन ने बाकी देशों में इसकी बिक्री शुरू की। भारत में ई-सिगरेट नाथुला-पास, नेपाल समेत अन्य व्यापारिक रूटों से आया। बाद में भारतीय कारोबारी इसे चीन से आयात भी करने लगे। स्कूली बच्चे बड़ी तेजी से इसकी लत का शिकार हो रहे थे। यही वजह है कि सरकार ने इसे बैन करने का फैसला किया। पहली बार इसका उल्लंघन करने वालों को एक साल तक की सजा होगी और एक लाख रुपये तक का जुर्माना लगेगा।लगातार उल्लंघन करने वालों को तीन साल तक की सजा हो सकती है या पांच लाख रुपये का जुर्माना भी हो सकता है या दोनों सजाएं साथ हो सकती हैं।

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