Delhi NCR Pollution: जहरीली हवा में सांस लेना मुश्किल! अभी और बढ़ेगा प्रदूषण, अगले 3 हफ्ते दिल्ली में ‘गैस चेंबर’ जैसे हालात
आने वाले वक्त में अभी और बढ़ेगा प्रदूषण
नासा सैटेलाइट डेटा से पता चलता है कि पिछले सात साल के दौरान 4 से 10 नवंबर के बीच पराली जलाने के मामले सबसे अधिक सामने आते हैं। इसका सीधा मतलब हुआ है कि आने वाले वक्त में बढ़ते प्रदूषण से कोई राहत नहीं मिलेगी। पिछले साल की बात की जाए तो 5 नवंबर के दिन पराली जलाने के मामले सबसे अधिक सामने आए। पिछले साल की तुलना में इस बार ऐसे मामलों की संख्या बढ़ सकती है। 2015 के बाद से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 10 नवंबर तक पराली जलाने के मामले सबसे अधिक है। साथ ही यह भी देखने में आया है कि पराली जलाने के मामले जब भी पीक पर पहुंचता है इसका सीधा असर एयर क्वालिटी पर अगले 10 दिनों तक रहता है। साल 2020 और पिछले साल के मुकाबले इस बार पराली जलाने के मामलों में इजाफा हुआ है।
पराली का धुआं राजधानी में, ग्रैप का स्टेज 3 लागू
सफर के अनुसार हवाएं उत्तर पश्चिमी हो गई हैं। इस वजह से पराली का धुआं राजधानी पहुंच रहा है। रविवार सुबह 8 बजे के करीब दिल्ली में AQI 350 और इससे भी अधिक नोएडा में AQI 399 रहा। शनिवार को भी ऐसा ही नजारा देखने को मिला था और सुबह के वक्त धुंध भी रही और यह प्रदूषण की वजह से था। पराली जलाने के मामले भी अभी बढ़ रहे हैं। इंडियन एग्रीकल्चर रिसर्च इंस्टीट्यूट से मिली जानकारी के अनुसार शनिवार को पंजाब में 1898, हरियाणा में 112, यूपी में 73, एमपी 151 और राजस्थान में 37 जगहों पर पराली जलीं। वहीं बढ़ते प्रदूषण के बाद दिल्ली में ग्रैप का तीसरा चरण लागू हो गया है। कई नई पाबंदियां लग गई है इनमें निर्माण और विध्वंस करने से संबंधित गतिविधियों पर रोक लगेगी। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने कहा कि अधिकारी हवा और खराब होने के मद्देनजर एनसीआर में बीएस-तीन पेट्रोल और बीएस-चार डीजल वाले चार चक्का वाहनों पर रोक लगा सकते हैं।
हर छठी मौत के लिए प्रदूषण जिम्मेदार, इन आंकड़ों पर गौर करिए
2019 में दुनियाभर में 90 लाख मौतें प्रदूषण के कारण हुईं। यानी हर छठी मौत के लिए किसी न किसी रूप में प्रदूषण जिम्मेदार रहा। ‘द लैंसेट’ की रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है। हेल्थ जर्नल की इस रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि अकेले भारत में 24 लाख लोगों ने प्रदूषण से जान गंवाई। सबसे ज्यादा जानलेवा वायु प्रदूषण है, जिसने दुनिया में 66.7 लाख जानें लीं। भारत में सिर्फ वायु प्रदूषण से 17 लाख जानें गईं। एक्सपर्ट का कहना है कि भारत में रोज औसतन 6,500 मौतें प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारियों से हो रही हैं। यह कोरोना महामारी के दौरान हुई मौतों से भी कई गुना ज्यादा है। कोरोना से देश में ढाई साल में 5 लाख से ज्यादा मौतें हुई हैं। रिपोर्ट में राहत की बात यह कि 2015 के मुकाबले 2019 में मौतों का आंकड़ा घटा है। जहां 2015 में भारत में प्रदूषण से 25 लाख मौतें हुई थीं, वहीं 2019 में 24 लाख मौतें हुईं।
बढ़ा प्रदूषण बरतें ये सावधानी
- सुबह के वक्त अगले कुछ दिनों तक टहलने से परहेज करें
- यदि टहलना जरूरी लगे तो पार्क में देख लें कि ओस पड़ी है या नहीं, ओस पड़ने के बाद ही टहलें
- कोरोना के वक्त जैसे हर वक्त मास्क का प्रयोग करते थे अब भी जब घर से बाहर निकलें मास्क का प्रयोग जरूर करें
- डाइट में सुधार करें, हेल्दी डाइट लें और दिनभर में खूब पानी पीएं
- अगर आप लंबे समय तक बाहर रहते हैं तो डिस्पोजेबल मास्क का उपयोग करें
- अपनी आंखों को नियमित रूप धोएं और हल्के गर्म पानी से नियमित रूप से गरारा भी करें
- आहार में गुड़ शामिल करें, यह वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभाव को कम करता है