Delhi Yamuna River: दिल्ली की यमुना नदी में क्यों आता है सफेद झाग? यहां जानिए वजह

153
Delhi Yamuna River: दिल्ली की यमुना नदी में क्यों आता है सफेद झाग? यहां जानिए वजह

Delhi Yamuna River: दिल्ली की यमुना नदी में क्यों आता है सफेद झाग? यहां जानिए वजह

नई दिल्ली : छठ पर प्रकृति और सूर्य की पूजा की जाती है। कैलाशपुरी छठ पूजा समिति की प्रतिमा देवी के मुताबिक, ‘नदियां प्रकृति का रूप हैं। इसलिए यमुना पूजनीय हैं और इसी वजह से छठ पर उसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है।’ यमुना में यूं तो पूरे साल प्रदूषण रहता है, लेकिन झाग की समस्या छठ के आसपास ही नजर आती है। यमुना में प्रदूषण की बात जितनी छठ पर होती है उतना पूरे साल नहीं। आखिर कहां से आ जाता है अक्टूबर और नवंबर में यह झाग और क्या है इसकी वजह।

यमुना जिये अभियान के मनोज मिश्रा के अनुसार इस झाग की वजह यमुना में नालों व सीवरेज के पानी के साथ आ रहा साबुन व डिटरजेंट है। यमुना में अब भी शहर के कई हिस्सों का सीवर का पानी डाला जा रहा है। मॉनसून के बाद जब यमुना का जलस्तर कम होने लगता है तो प्रदूषक कण एक परत बना लेते हैं। खासतौर पर फास्फेट की मात्रा इस झाग की परत के लिए जिम्मेदार है। सीपीसीबी व डीपीसीसी ने भी यमुना में झाग की वजह सर्फेक्टेंट और फासफेट को माना है।


ओखला बैराज और आईटीओ में दिखता है झाग
छठ के दौरान जब ओखला बैराज के गेट खोले जाते हैं तो वह पानी काफी उंचाई से यमुना में गिरता है। इसी वजह से झाग की परत बन जाती है। सीपीसीबी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, झाग की यह परत ओखला बैराज और आईटीओ पर दिखती है। हालांकि एक्सपर्ट के अनुसार नदी में कई जगह पर फास्फेट की मात्रा अधिक हो सकती है, लेकिन अन्य जगहों पर झाग न दिखने की वजह यह है कि वहां पर पानी उंचाई से नदी में नहीं गिरता। यमुना के पानी में वजीराबाद के पास फास्फेट और सर्फेक्टेंट की मौजूदगी नहीं मिली।

कहां कितनी है फास्फेट और सर्फेक्टेंट की मात्रा
डीपीसीसी ने दो साल पहले आई एक रिपोर्ट के अनुसार यमुना में सबसे अधिक सर्फेक्टेंट और फास्फेट खजूरी पलटून में पाया गया था। यहां इसकी मात्रा 13.42 एमजी प्रति लीटर रही थी। वहीं ओखला बैराज में इसका स्तर 12.26 एमजी प्रति लीटर, निजामुद्दीन ब्रिज में 11 एमजी प्रति लीटर, पल्ला में इसका स्तर 9.78 एमजी प्रति लीटर रहा था।

नालों में भी मिली इनकी मात्रा
यमुना में गिरने वाले नालों में सबसे अधिक फास्फेट का स्तर (74.5 एमजी प्रति लीटर) नजफगढ़ नाले में मिला। इसके बाद आईएसबीटी नाले में 65.5 एमजी प्रति लीटर, बारापुरा नाले में 57.2 एमजी प्रति लीटर और इंद्रपुरी नाले में इसका स्तर 54.2 एमजी प्रति लीटर मापा गया।

रोकने के लिए उठाया था कदम
फासफेट और सरफेक्टेंट को नदी में जाने से रोकने के लिए जून 2021 में डीपीसीसी ने राजधानी में सिर्फ बीआईएस स्टैंडर्ड के साबुन और डिटर्जेंट की बिक्री, स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन को ही इजाजत दी थी, लेकिन सब स्टैंडर्ड साबुन और डिटर्जेंट का इस्तेमाल करने वालों पर क्या कार्रवाई की गई, इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। अब भी सब स्टैंडर्ड साबुन व डिटर्जेंट का प्रयोग आम है।

डीजेबी ने यूपी पर मढ़ा दोष
डीजेबी के एक अधिकारी का कहना है कि झाग मुख्य रूप से ओखला बैराज पर ही देखने को मिलता है। वहां यह समस्या यूपी की वजह से है। यूपी का सिंचाई विभाग जलकुंभी को साफ नहीं करता। साथ ही नालों का गंदा पानी यमुना में छोड़ता है। यदि दिल्ली झाग की वजह होती तो यमुना में हर जगह झाग नजर आता।

दिल्ली की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News