केजरीवाल सरकार का तोहफा, महिलाओं के लिए मेट्रो व डीटीसी बसों में यात्रा मुफ्त

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Delhi Cm arvind kejriwal

आम आदमी पार्टी के नेतृत्व में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार ने सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं को ऐतिहासिक तोहफ़ा दिया है। दरअसल, दिल्ली सरकार दिल्ली मेट्रो, डीटीसी व क्लस्टर स्कीम के तहत चलने वाली बसों में महिलाओं को फ्री में सफ़र कराएगी। सरकार के इस ऐतिहासिक फैसले का ऐलान ख़ुद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रेस कॉन्फेंस कर किया।

Delhi metro -

दिल्ली में रहने वाली महिलाओं को राज्य की सरकार की तरफ़ से सार्जनिक वाहनों में फ्री में सफर करने की सुविधा मिलने वाली है। सीएम केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में महिलाएं असुरक्षित महसूस करती हैं। महिलाओं की सुरक्षा के लिए दो अहम व बड़े फैसले लिए गए हैं। एक तो सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए ढाई साल से कोशिश कर रहे थे। डेढ़ लाख सीसीटीवी लगने का टेंडर दिया था, जिसमें से 70 हज़ार सीसीटीवी का सर्वे हो चुका है। केजरीवाल ने कहा कि 8 जून से कैमरे लगेंगे और दिसंबर तक लगने की उम्मीद है।

दूसरा ये कि दिल्ली सरकार ने दिल्ली मेट्रो और डीटीसी बसों में महिलाओं को किराए से छुटकारा दिलाने के लिए नि:शुल्क यात्रा का फ़ैसला किया है, इससे उन्हें सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। महिलाओं को फ्री यात्रा देने में डीएमआरसी को होने वाले नुकसान की भरपाई दिल्ली सरकार करेगी।

DTC buses -

महिलाओं को फ्री में यात्रा करने वाली सुविधा ऐलान करते हुए अरविंद केजरीवाल ने कहा कि जो सक्षम महिलाएं हैं वे चाहें तो टिकट खरीद सकती हैं। उन्हें सब्सिडी का इस्तेमाल न करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। केजरीवाल ने कहा कि दो से तीन महीने के अंदर इसे लागू कर दिया जाएगा।

बता दें कि महिलाओं को दिल्ली मेट्रो में फ्री में सफर कराने पर दिल्ली सरकार पर 1000 करोड़ रूपये का खर्च पड़ेगा। दिल्ली के इस मसले पर कहा है कि डीएमआरसी को होने वाले नुकसान का भुगतान दिल्ली सरकार करेगी।

दरअसल, बसों और मेट्रो में यात्रा करने वाले कुल यात्रियों में 33 फीसदी महिलाएं होती हैं। इसके मुताबिक़, मेट्रो में महिलाओं की मुफ्त यात्रा पर करीब एक हज़ार करोड़ प्रतिवर्ष का खर्च आएगा जबकि करीब 200 करोड़ रुपये का खर्च बसों को लेकर सरकार पर आएगा। अनुमान है कि महिलाओं के लिए दिल्ली मेट्रो और डीटीसी की बसों में इस योजना को लागू करने में सरकार पर प्रतिवर्ष करीब 1200 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। इस सुविधा को लागू करने में आने वाले खर्च की भरपाई दिल्ली सरकार करेगी।