आयुर्वेद के अनुसार रोना अच्छा या बुरा ?

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रोना
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आयुर्वेद के अनुसार रोना अच्छा या बुरा ? ( Crying is good or bad according to Ayurveda )

आमतौर पर रोने को नकारात्मक रूप से दिखाया जाता है. जब हमें किसी तरह की समस्या होती है या परेशानी होती है तो इंसान रोता है. हमें बताया जाता है कि रोना कमजोर लोगों की निशानी होती है तथा इस तरह की समस्या लड़को के सामने अधिक आती है, जब उनको कहा जाता है कि लड़के होकर रो रहे हो. ऐसी मान्यता होती है, हंसना हमारी सेहत के लिए बहुत लाभदायक होता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आयुर्वेद या आधुनिक स्टीड के हिसाब से देखे तो रोने के भी फायदे होते हैं. इसलिए रोना भी बुरा नहीं होता है.

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रोने के फायदे-

आंसू भी तीन प्रकार के होते हैं, रेफलेक्सिव, कंटीनिअस, इमोशनल, क्या आपको पता है कि केवल इंसान ही तीसरी तरह से रो सकते हैं. इमोशनल क्राइंग बहुत ही फायदेमंद है. आमतौर पर आपने भी देखा होगा कि इंसान कितना भी परेशान क्यों ना हो या कितना भी हताश क्यों ना हो कुछ देर रोने के बाद उसमें हिम्मत भी आती है तथा उसे बेहतर भी महसूस होता है. जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लिए भी बहुत लाभदायक होता है.

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आंसू शरीर के भीतर अश्रु नलिकाओं से होकर नासिका तक पहुंचते हैं जिससे नाक में जमा गंदगी साफ हो जाती है. रोने के दौरान अक्सर नाक बहने लगती है जिसके पीछे यही वजह है. रोने से नाक में जमा बैक्टीरिया और गंदगी बाहर निकल जाती है.

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आमतौर पर रोना हमारे समाज में कमजोरी का प्रतीक माना जाता है. रोते हुए व्यक्ति असफल व्यक्ति के तौर देखा जाता है. लेकिन रोने के अपने अनेंक फायदे होते हैं. काफी बार देखने को मिलता है कि लोग फिल्म देखते हुए या कोई घटना को देखते हुए रोना शुरू कर देते हैं. लेकिन यह रोना स्वभाविक होता है. इससे हमारे शरीर को नुकसान नहीं होता है. रोने के बाद किसी भी परेशानी की स्थिति में हम बेहतर महसूस करते हैं.

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