सीबीआई मौन: ललित मोदी और विजय माल्या को वापास लाने के लिए कितने खर्च हुए?

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भारत की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सेंट्रल ब्यूरो ऑफ़ इन्वेस्टीगेशन ने देश के नामचीन धोखेबाजों से जुड़ी एक अहम जानकारी देने से इनकार कर दिया है. सीबीआई ने आरटीआई अधिनियम के तहत खुलासों से मिली छूट का दावा करते हुए भगौड़े कारोबारियों ललित मोदी और विजय माल्या को भारत लाने पर हुए खर्चे का ब्यौरा देने से इनकार कर दिया है.

आरटीआई से किया सवाल  

पुणे के एक कार्यकर्ता विहार धुर्वे ने सीबीआई से 9,000 करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपों को लेकर भारत में वांछित शराब कारोबारी विजय माल्या और मनी लॉन्डरिंग की जांच का सामना कर रहे ललित मोदी को देश वापस लाने पर हुए खर्च का ब्यौरा मांगा था. दोनों ही कारोबारियों ने अपने ऊपर लगाए गए आरोपों से इनकार किया है.

2002 RTI 1 -

जवाब ना देने का ये तरीक़ा अपनाया

दरअसल वित्त मंत्रालय ने सीबीआई के पास विहार धुर्वे का आरटीआई आवेदन भेजा था. सीबीआई ने उसे इस तरह के मामलों की जांच करने वाले विशेष जांच दल के पास भेज दिया. फिर आरटीआई आवेदन के जवाब में सीबीआई ने कहा कि उसे 2011 की एक सरकारी अधिसूचना के ज़रिये आरटीआई अधिनियम के तहत किसी भी तरह का खुलासा करने से छूट मिली हुई है. अधिनियम की धारा 24 के तहत कुछ संगठनों को सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत छूट मिली हुई है.

हालांकि दिल्ली उच्च न्यायालय ने इससे पहले रेखांकित किया था कि धारा 24 के तहत सूचीबद्ध संगठन सूचना के ‘‘भ्रष्टाचार एवं मानवाधिकार उल्लंघन के आरोपों’ से जुड़े होने पर खुलासे से छूट का दावा नहीं कर सकते.