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क्या लॉकडाउन से फायदा हो रहा है? आखिर ICMR चीफ ने लॉकडाउन पर पीएम मोदी के उलट बात क्यों कही? जानें जवाब

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क्या लॉकडाउन से फायदा हो रहा है? आखिर ICMR चीफ ने लॉकडाउन पर पीएम मोदी के उलट बात क्यों कही? जानें जवाब

क्या लॉकडाउन से फायदा हो रहा है? आखिर ICMR चीफ ने लॉकडाउन पर पीएम मोदी के उलट बात क्यों कही? जानें जवाब

हाइलाइट्स:

  • ICMR के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कुछ जिलों में लॉकडाउन की वकालत की है
  • उन्होंने कहा कि 10% से ज्यादा संक्रमण दर वाले जिलों में लॉकडाउन लगाना जरूरी है
  • उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश ने नाम संबोधन में लॉकडाउन से बचने की सलाह दे चुके हैं

नई दिल्ली
कोरोना की दूसरी लहर पर काबू पाने के लिए लॉकडाउन का आवश्यकता पर एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर देशव्यापी पाबंदियां नहीं भी लगाई जाएं तो जिला स्तर पर लॉकडाउन लगाना ही होगा। हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह चुके हैं देश को लॉकडाउन से बचाना है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर चोट करता है।

पीएम और एक्सपर्ट के बयान विरोधाभासी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 अप्रैल को देश के नाम अपने संबोधन में कहा था, “आज की स्थिति में हमें देश को लॉकडाउन से बचाना है। मैं राज्यों से भी अनुरोध करूंगा कि वो लॉकडाउन को अंतिम विकल्प के रूप में ही इस्तेमाल करें। लॉकडाउन से बचने की भरपूर कोशिश करनी है। और माइक्रो कन्टेनमेंट जोन पर ही ध्यान केंद्रित करना है।” अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव ने कहा है कि जिन जिलों में कोरोना संक्रमण की दर 10% से अधिक है, वहां 6 से 8 सप्ताह तक लॉकडाउन लगाना जरूरी है।

क्या लॉकडाउन फायदेमंद है?

प्रधानमंत्री ने भले ही लॉकडाउन से बचने की सलाह दी थी, लेकिन जिन राज्यों में स्थितियां बिगड़ने लगीं वहां लॉकडाउन या कर्फ्यू जैसे कदम उठाने ही पड़े। अब तो राज्यों ने इस बात की खुशी भी जतानी शुरू कर दी है कि लॉकडाउन से उन्हें फायदा हुआ है। यहां तक कि बीजेपी शासित राज्य हरियाणा ने भी माना है कि लॉकडाउन से कोविड-19 महामारी पर काबू पाने में मदद मिली है।

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हरियाणा में लॉकडाउन का असर

हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने कहा कि राज्य में लागू लॉकडाउन के कारण संक्रमण के नए मामलों में लगातार कमी हो रही है। वहां 4 मई को कोविड-19 के 15,786 मामले आए थे, वहीं 12 मई को 11,637 मामले आए। एक आधिकारिक बयान में बताया गया कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री हर्षवर्धन की अध्यक्षता में वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए कोविड-19 को लेकर समीक्षा बैठक के दौरान स्वास्थ्य मंत्री विज ने यह बात कही।

नीतीश ने कहा- लॉकडाउन से घटने लगे केस

वहीं, एनडीए शासित बिहार में भी लॉकडाउन का फायदा दिखने लगा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि लॉकडाउन के बाद मरीजों की संख्या में कमी प्रारंभ हो गई है। उन्होंने लोगों से धैर्य और साहस बनाए रखने की अपील की। राज्य में बुधवार को 9,863 नए कोरोना संक्रमितों की पहचान हुई जबकि रिकवरी रेट 83.43 प्रतिशत तक पहुंच गया। स्वास्थ्य विभाग द्वारा बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य में पिछले 24 घंटे में 1,11,740 नमूनों की जांच की गई। इस दौरान 12,265 लोग कोरोना संक्रमण से मुक्त हो कर अपने घर वापस गए हैं।

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मुख्यमंत्री कुमार ने सोशल मीडिया पर एक संदेश जारी कर कहा कि आज दुनिया की तरह देश के लोग भी कोरोना से जूझ रहे हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में कोरोना की दूसरी लहर में कोरोना महामारी से राहत पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य में पांच मई से 15 मई तक लॉकडाउन तक लगाया गया है। लॉकडाउन में मरीजों की संख्या में कमी प्रारंभ हो गई है।

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झारखंड में बढ़ी लॉकडाउन की मियाद
इस बीच, झारखंड सरकार ने ‘स्वास्थ्य सुरक्षा सप्ताह’ के नाम से लागू लॉकडाउन को और सख्ती के साथ 27 मई तक आगे बढ़ाने का फैसला किया। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में हुई आपदा प्रबंधन प्राधिकार की बैठक में इस आशय का फैसला लिया गया जिसके तहत अब विवाह समारोह में सिर्फ 11 लोग शामिल हो सकेंगे। प्रतिबंधों में सख्ती करते हुए राज्य सरकार ने अब फैसला किया है कि राज्य के भीतर और अन्य राज्यों के साथ चलने वाली बसें भी 27 मई की सुबह छह बजे तक नहीं चलेंगी। साथ ही, 16 मई की सुबह छह बजे से पूर्व से जारी प्रतिबंधों के अतिरिक्त राज्य में नए प्रतिबंध लगाए गए हैं।

राज्यों के लॉकडाउन का डेली कोरोना केस पर असर

उधर, केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा कि देश में कोविड-19 के दैनिक नए मामलों और मौत के आंकड़ों में कमी देखने को मिल रही है। सरकार के मुताबिक महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान, छत्तीसगढ़, बिहार, गुजरात, मध्य प्रदेश और तेलंगाना उन 18 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में शामिल हैं, जहां कोविड-19 संक्रमण के दैनिक मामलों में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है। हालांकि कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, ओडिशा और पंजाब उन 16 राज्यों में शामिल हैं जहां दैनिक अब भी बढ़ रहे हैं।

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आखिर पीएम और एक्सपर्ट के बयान उलट क्यों
दरअसल, प्रधानमंत्री को जहां कोविड-19 महामारी पर काबू पाने की चिंता है, वहीं अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने की भी चुनौती होती है। यही कारण है कि वो संपूर्ण लॉकडाउन की जगह स्थानीय स्तर पर थोड़ी-थोड़ी पाबंदियों के जरिए महामारी से लड़ने का सुझाव देते हैं जबकि आईसीएमआर के महानिदेशक की मूल चिंता कोविड तक सीमित रहती है। इस कारण वो लॉकडाउन की बातें बेधड़क करते हैं। हालांकि, वो ऐसा सुझाव देते वक्त 100% सही होते हैं। उन्होंने लॉकडाउन की जरूरत बताते हुए कहा है कि देश में कोरोना संक्रमण की दर 21% है। देश के 734 में से 310 जिलों ऐसे हैं जहां संक्रमण दर इसके बराबर या फिर इससे भी ज्यादा है।

आर्थिक मोर्चे पर थोड़ी राहत

बहरहाल, कोरोना वायरस महामारी की दूसरी गंभीर लहर से जूझ रहे देश के लिए बुधवार का दिन अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर राहत भरा रहा। ताजा आंकड़ों के मुताबिक मार्च महीने में औद्योगिक उत्पादन में 22.4 प्रतिशत का उछाल आया वहीं खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में तीन महीने के न्यूनतम स्तर 4.29 प्रतिशत पर आ गयी। एक साल पहले लॉकडाउन के कारण आर्थिक गतिविधियां पूरी रह से ठप होने से तुलनात्मक आधार कमजोर रहने तथा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के बेहतर प्रदर्शन से मार्च 2021 में औद्योगिक उत्पादन में अच्छी वृद्धि दर्ज की गई।

balram bhargava and narendra modi

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