योगी ने बना ली सरकार, लेकिन 2017 के मुकाबले क्यों घट गई सीटें? जानिए क्या कहती है बीजेपी की रिपोर्ट

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योगी ने बना ली सरकार, लेकिन 2017 के मुकाबले क्यों घट गई सीटें? जानिए क्या कहती है बीजेपी की रिपोर्ट

लखनऊः उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी को दोबारा सत्ता में बैठने का मौका मिला। योगी आदित्यनाथ ने दोबारा शासन संभालते हुए यूपी के सियासी इतिहास में वह कारनामा कर दिखाया है, जो अभी तक किसी ने नहीं किया था। बीजेपी को लगातार दूसरी बार पूर्ण बहुमत मिला लेकिन पार्टी के साथ एक अफसोस यह जुड़ गया कि उसे पिछली बार के मुकाबले कम सीटें हासिल हुईं। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में जहां भगवा पार्टी को 325 सीटें मिली थीं, वहीं इस बार पार्टी को गठबंधन सहयोगियों के साथ भी सिर्फ 273 सीटें मिली हैं।

चुनाव में जीत के बाद भी सीटों की संख्या में कमी आने को लेकर संगठन काफी चिंतित था। ऐसे में इसको लेकर पार्टी के भीतर समीक्षा की गई है और बीजेपी की उत्तर प्रदेश ईकाई ने एक रिपोर्ट तैयार करके पीएमओ भेजी है, जिसमें यह बताया गया है कि वे क्या कारण रहे, जिसकी वजह से पार्टी ने इस बार कम सीटें जीती हैं। इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, बीजेपी यूपी ने 80 पेज की रिपोर्ट तैयार की है, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यालय में भेजा गया है।

गठबंधन नहीं रहा ‘सहयोगी’
पार्टी ने बताया है कि गठबंधन सहयोगियों की वजह से इस बार नई सरकार कम सीटों के साथ विधानसभा लौटी है। रिपोर्ट के मुताबिक, अपना दल और निषाद पार्टी के कोर वोटर्स ने बीजेपी को वोट नहीं दिया जबकि बीजेपी के कोर वोटर्स ने दोनों पार्टियों के उम्मीदवारों को भरपूर समर्थन दिया। पार्टी की ओबीसी वोट भी कम मिले। यही वजह रही की उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य अपनी सीट से चुनाव हार गए। जिन ओबीसी जाति के लोगों ने बीजेपी को वोट नहीं किया था, उनमें कुशवाहा, कुर्मी, मौर्य, सैनी, निषाद, पाल, शाक्य और राजभर शामिल हैं। इनके वोट सपा गठबंधन को ट्रांसफर हो गए। बता दें कि पिछली बार बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले ओम प्रकाश राजभर इस बार सपा गठबंधन के साथ थे।

मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण
रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण ने कई सीटों पर सपा प्रत्याशियों को जीत दिलाई। यह भी कई सीटों पर बीजेपी की हार का कारण बनी। इसके अलावा योगी सरकार 1.0 की कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों ने भी बीजेपी को वोट नहीं दिया। पोस्टल वोटों में ज्यादातर वोट समाजवादी पार्टी को मिले। इसका प्रमुख कारण था कि सरकारी कर्मचारियों के लिए अखिलेश यादव ने पुरानी पेंशन स्कीम लागू करने का वादा कर दिया था। इससे सरकारी कर्मचारियों के वोट बीजेपी के हाथ से खिसक गए।

क्या रहे नतीजे
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में इस बार बीजेपी और उसके गठबंधन को कुल मिलाकर 273 सीटों पर जीत मिली। 111 सीटें सपा के खाते में गईं। सहयोगियों समेत यह आंकड़ा 125 बैठता है। बीएसपी का सिर्फ एक विधायक विजयी हुआ जबकि कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिलीं।

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