यूपी में रेप के आरोपी को नहीं मिलेगी अग्रिम जमानत, अब सलाखों के पीछे जाना ही होगा | No anticipatory bail for accused of crimes against women rape and pocs | Patrika News
रेपिस्टों पर कानून का शिकंजा, कुल 10 धाराओं में हुआ बदलाव उत्तर प्रदेश विधानसभा ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये CRPC यानी दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2022 इस संशोधन को लागू कर दिया गया है।
इसके तहत अब रेप और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेज एक्ट यानी पॉक्सो के मामलों में आरोपियों को अग्रिम जमानत यानी Anticipatory Bail नहीं मिलेगी। इस संशोधन विधेयक में CRPC की धारा 438 में बदलाव के साथ ही पॉक्सो एक्ट और 376, 376-A, 376–AB, 376–B, 376-C, 376-D, 376-DA, 376-DB, 386-E की धाराओं में आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं देने का प्रावधान किया गया है।
इस कानून के तहत न सिर्फ रेप और गैंगरेप बल्कि यौन अपराध, बदसलूकी और सेक्सुअल एब्यूज के मामलों में भी अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी 16 वें नंबर पर
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB के आंकड़ों के मुताबिक देश में महिलाओं के विरूद्ध साल 2021 में 4 लाख 28 हजार 278 क्राइम रजिस्टर हुए हैं।
यूपी में यह संख्या 56 हजार 83 है, जबकि पूरे देश का क्राइम रेट 64.5% है। वहीं यूपी में ये 50.5% है। देश में वुमन क्राइम के मामले यूपी में 16वें नंबर पर है।
देश में हर रोज 86 से ज्यादा महिलाओं का हुआ रेप, जानिए किस नंबर पर है यूपी? 2021 में रेप के मामले में कुल 31 हजार 677 क्राइम दर्ज किए गए। यानी, हर रोज औसतन 86 से ज्यादा महिलाएं रेप का शिकार हुईं। राजस्थान में सबसे ज्यादा 6,337 मामले दर्ज हुए। इसके बाद सबसे ज्यादा रेप की घटनाएं मध्य प्रदेश में 2947, उत्तर प्रदेश यूपी में 2845, जबकि महाराष्ट्र में 2496 और असम में 1733 घटनाएं दर्ज हुईं।
देश का क्राइम रेट जहां 4.8% है वहीं यूपी का 2.6% है जो देश में 23वें नंबर पर है। केरल 4.2%, तेलंगाना 4.4%, छत्तीसगढ़ 7.4%, दिल्ली 12.9 % और राजस्थान का 16.4% है। इन 5 राज्यों में क्राइम की घटनाएं यूपी से ज्यादा होती हैं।
साल 2021 में बच्चों के खिलाफ इंडिया में कुल 1 लाख 49 हजार 404 क्राइम की घटना हुई। यूपी में इसकी संख्या 16 हजार 838 है। इस क्राइम में पूरे देश के 33.6 के मुकाबले यूपी का क्राइम रेट 19.7 है, जो देश में 28वें नंबर पर है।
पश्चिम बंगाल , केरल, तेंलगाना, छत्तीसगढ़, और दिल्ली इन पांच राज्यों में यूपी से ज्यादा चाइल्ड क्राइम की घटनाएं घटित होती हैं। साल 2021 में इंडिया में पॉक्सो एक्ट के अन्तर्गत 53 हजार 874 मामले दर्ज हुए। जबकि यूपी में यह 8.4% के साथ 7129 है, जो पुरे देश का क्राइम रेट 12.1% के मुकाबले 3.7% काम है। देश में यह 21वें नंबर पर है।
पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, दिल्ली और केरल पॉक्सो एक्ट के मामले में यूपी से आगे हैं। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधानसभा को बताया कि दावा पीटीशन दायर करने के समय को तीन महीने से बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है।
एक प्रावधान है कि ट्रिब्यूनल को मृत्यु के मामले में न्यूनतम 5 लाख रुपये और स्थायी विकलांगता के मामले में 1 लाख रुपये की मंजूरी का अधिकार होगा।लेकिन, अधिक रकम की मंजूरी पर ट्रिब्यूनल फैसला लेगा।
क्या होती है अग्रिम जमानत? कैसे मिलती है अरेस्ट से पहले बेल? IPC यानी भारतीय दंड संहिता के अनुसार कोई व्यक्ति यदि क्राइम करता है तो उसके खिलाफ पुलिस थाने में FIR दर्ज कराई जाती है। फिर कार्रवाई की जाती है। अगर ये अपराध है।
और किसी निर्दोष को यह पता है की वह निर्दोष है तो वह पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में जा सकता है। अग्रिम जमानत का अर्थ है कि गिरफ्तार होने से पहले कोर्ट द्वारा जमानत देना। अग्रिम जमानत में व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाता है। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जज जमानत या अग्रिम जमानत देते हैं।
अग्रिम जमानत देने का मतलब निर्दोष व्यक्ति की गरिमा को बचाना है। इसमें दोष सिद्ध होने तक या न्यायाधीश के विवेकानुसार निश्चित समय तक अग्रिम जमानत दी जाती है।
रेपिस्टों पर कानून का शिकंजा, कुल 10 धाराओं में हुआ बदलाव उत्तर प्रदेश विधानसभा ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिये CRPC यानी दंड प्रक्रिया संहिता (उत्तर प्रदेश संशोधन) विधेयक, 2022 इस संशोधन को लागू कर दिया गया है।
इसके तहत अब रेप और प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेज एक्ट यानी पॉक्सो के मामलों में आरोपियों को अग्रिम जमानत यानी Anticipatory Bail नहीं मिलेगी। इस संशोधन विधेयक में CRPC की धारा 438 में बदलाव के साथ ही पॉक्सो एक्ट और 376, 376-A, 376–AB, 376–B, 376-C, 376-D, 376-DA, 376-DB, 386-E की धाराओं में आरोपी को अग्रिम जमानत नहीं देने का प्रावधान किया गया है।
इस कानून के तहत न सिर्फ रेप और गैंगरेप बल्कि यौन अपराध, बदसलूकी और सेक्सुअल एब्यूज के मामलों में भी अग्रिम जमानत नहीं मिल सकेगी। महिलाओं के खिलाफ अपराध में यूपी 16 वें नंबर पर
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB के आंकड़ों के मुताबिक देश में महिलाओं के विरूद्ध साल 2021 में 4 लाख 28 हजार 278 क्राइम रजिस्टर हुए हैं।
यूपी में यह संख्या 56 हजार 83 है, जबकि पूरे देश का क्राइम रेट 64.5% है। वहीं यूपी में ये 50.5% है। देश में वुमन क्राइम के मामले यूपी में 16वें नंबर पर है।
देश में हर रोज 86 से ज्यादा महिलाओं का हुआ रेप, जानिए किस नंबर पर है यूपी? 2021 में रेप के मामले में कुल 31 हजार 677 क्राइम दर्ज किए गए। यानी, हर रोज औसतन 86 से ज्यादा महिलाएं रेप का शिकार हुईं। राजस्थान में सबसे ज्यादा 6,337 मामले दर्ज हुए। इसके बाद सबसे ज्यादा रेप की घटनाएं मध्य प्रदेश में 2947, उत्तर प्रदेश यूपी में 2845, जबकि महाराष्ट्र में 2496 और असम में 1733 घटनाएं दर्ज हुईं।
देश का क्राइम रेट जहां 4.8% है वहीं यूपी का 2.6% है जो देश में 23वें नंबर पर है। केरल 4.2%, तेलंगाना 4.4%, छत्तीसगढ़ 7.4%, दिल्ली 12.9 % और राजस्थान का 16.4% है। इन 5 राज्यों में क्राइम की घटनाएं यूपी से ज्यादा होती हैं।
साल 2021 में बच्चों के खिलाफ इंडिया में कुल 1 लाख 49 हजार 404 क्राइम की घटना हुई। यूपी में इसकी संख्या 16 हजार 838 है। इस क्राइम में पूरे देश के 33.6 के मुकाबले यूपी का क्राइम रेट 19.7 है, जो देश में 28वें नंबर पर है।
पश्चिम बंगाल , केरल, तेंलगाना, छत्तीसगढ़, और दिल्ली इन पांच राज्यों में यूपी से ज्यादा चाइल्ड क्राइम की घटनाएं घटित होती हैं। साल 2021 में इंडिया में पॉक्सो एक्ट के अन्तर्गत 53 हजार 874 मामले दर्ज हुए। जबकि यूपी में यह 8.4% के साथ 7129 है, जो पुरे देश का क्राइम रेट 12.1% के मुकाबले 3.7% काम है। देश में यह 21वें नंबर पर है।
पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, दिल्ली और केरल पॉक्सो एक्ट के मामले में यूपी से आगे हैं। संसदीय कार्य मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने विधानसभा को बताया कि दावा पीटीशन दायर करने के समय को तीन महीने से बढ़ाकर तीन साल कर दिया गया है।
एक प्रावधान है कि ट्रिब्यूनल को मृत्यु के मामले में न्यूनतम 5 लाख रुपये और स्थायी विकलांगता के मामले में 1 लाख रुपये की मंजूरी का अधिकार होगा।लेकिन, अधिक रकम की मंजूरी पर ट्रिब्यूनल फैसला लेगा।
क्या होती है अग्रिम जमानत? कैसे मिलती है अरेस्ट से पहले बेल? IPC यानी भारतीय दंड संहिता के अनुसार कोई व्यक्ति यदि क्राइम करता है तो उसके खिलाफ पुलिस थाने में FIR दर्ज कराई जाती है। फिर कार्रवाई की जाती है। अगर ये अपराध है।
और किसी निर्दोष को यह पता है की वह निर्दोष है तो वह पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए अग्रिम जमानत के लिए कोर्ट में जा सकता है। अग्रिम जमानत का अर्थ है कि गिरफ्तार होने से पहले कोर्ट द्वारा जमानत देना। अग्रिम जमानत में व्यक्ति को गिरफ्तार नहीं किया जाता है। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए जज जमानत या अग्रिम जमानत देते हैं।
अग्रिम जमानत देने का मतलब निर्दोष व्यक्ति की गरिमा को बचाना है। इसमें दोष सिद्ध होने तक या न्यायाधीश के विवेकानुसार निश्चित समय तक अग्रिम जमानत दी जाती है।