बिहार में बढ़ेगा आरक्षण का दायरा? जीतन राम मांझी ने CM नीतीश से की बड़ी मांग, कहा- आबादी के हिसाब से दिलवाएं हिस्सा

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बिहार में बढ़ेगा आरक्षण का दायरा? जीतन राम मांझी ने CM नीतीश से की बड़ी मांग, कहा- आबादी के हिसाब से दिलवाएं हिस्सा

बिहार में बढ़ेगा आरक्षण का दायरा? जीतन राम मांझी ने CM नीतीश से की बड़ी मांग, कहा- आबादी के हिसाब से दिलवाएं हिस्सा

पटना: बिहार में जातीय जनगणना के बाद अब आरक्षण को लेकर सियासत तेज हो गई है। पक्ष हो या विपक्ष, आए दिन नेताओं के कुछ न कुछ बयान आते रहते हैं। उधर, पड़ोसी राज्य झारखंड में 77 फीसदी आरक्षण पर मुहर लग गई है। इसके बाद ये मांग बिहार में उठन लगी है। जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा के बाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने सीएम नीतीश कुमार से बिहार में भी लागू करने की मांग की है। हम प्रमुख ने ट्वीट कर आरक्षण के दायरे को बढ़ाने की मांग की है।

जितनी आबादी उतनी हिस्सेदारी
जीतन राम मांझी ने ट्वीट कर लिखा कि जब आरक्षण का दायरा पड़ोसी राज्य में बढ़ गया है तो हम क्यों पीछे रहें। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से आग्रह है कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी, मिले उसको उतनी हिस्सेदारी’ के तर्ज पर सूबे में आबादी के हिसाब से आरक्षण लागू कर एक नजीर पेश करें। यही न्यायसंगत होगा।

जेडीयू ने भी की आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग
इधर, जेडीयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी झारखंड सरकार की तर्ज पर बिहार में भी आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग की है। हालांकि उपेंद्र कुशवाहा ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि अगर राज्य सरकार आरक्षण का दायरा बढ़ा देती है तो किसी व्यक्ति द्वारा कोर्ट जाने पर मामला फंस सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण पर यही स्थिति देखने को मिला था। उन्होंने झारखंड सरकार द्वारा आरक्षण के दायरा को बढ़ाए जाने का स्वागत करते हुए कहा कि हमारी सरकार भी इस विषय पर पूरी तरह से आकलन कर कोई फैसला लेगी। उपेंद्र कुशवाहा ने यह भी कहा कि हम ऐसी व्यवस्था चाहते हैं ताकि भविष्य में किसी के द्वारा अदालत में इसके खिलाफ याचिका दायर करने पर बढ़ाए गए आरक्षण पर आंच ना आ सके।

केंद्र सरकार भी करे आरक्षण का दायरा बढ़ाने की पहल
उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि अगड़ी जाति से आने वाले आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत का आरक्षण देने का केंद्र सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। ऐसे में अब केंद्र सरकार को चाहिए कि वह OBC के आरक्षण का दायरा बढ़ाने को लेकर भी पहल करे। ताकि केंद्र सरकार की नौकरियों में भी पिछड़ा, अति पिछड़ा वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ मिल सके। अगर केंद्र की सरकार आरक्षण का दायरा बढ़ाने को लेकर कोई कदम उठाती है, तो उनकी सरकार इस मामले में केंद्र सरकार के साथ खड़ी रहेगी।

जानिए क्या है बिहार में आरक्षण की स्थिति
वर्तमान समय में बिहार में आरक्षण की जो स्थिति है, उसके अनुसार अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति को 1 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 18 प्रतिशत और पिछड़ा वर्ग को 12 प्रतिशत का आरक्षण दिया जा रहा है। इसके अलावा यह भी बता दें कि NDA के शासनकाल में बिहार देश का पहला राज्य बना था, जहां निजी कंपनियों को भी आरक्षण के दायरे में ले आया गया था। बिहार सरकार के इस फैसले के बाद आउटसोर्स करने वाली निजी कंपनियां भी नए नियम के अनुसार SC/ST, पिछड़ा वर्ग, अति पिछड़ा, निःशक्त और महिलाओं के लिए बनाए गए आरक्षण के प्रावधान को लागू करना अनिवार्य हो गया है।

बीजेपी ने भी की बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाने की मांग
झारखंड में आरक्षण का दायरा बढ़ाया जाने के बाद बीजेपी ने बिहार में भी आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने की मांग की है। बीजेपी प्रवक्ता और पूर्व विधायक प्रेम रंजन पटेल ने कहा कि बिहार में पिछड़ा अति पिछड़ा वर्ग को जो आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल पा रहा। उन्होंने कहा कि निकाय चुनाव में भी पिछड़ों के आरक्षण का हक मारा गया। नीतीश कुमार को भी आरक्षण का दायरा बढ़ाने के पक्ष में अपना बयान दे चुके हैं। अब जबकि पड़ोसी राज्य झारखंड में भी आरक्षण का दायरा बढ़ाया जा चुका है तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को भी इस मामले में पहल करनी चाहिए।

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