दिल्ली में पेड़ों पर सजीं ये रंगीन लाइटें कितना दर्द दे रही हैं, अंदाजा भी नहीं लगा सकते आप

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दिल्ली में पेड़ों पर सजीं ये रंगीन लाइटें कितना दर्द दे रही हैं, अंदाजा भी नहीं लगा सकते आप

दिल्ली में पेड़ों पर सजीं ये रंगीन लाइटें कितना दर्द दे रही हैं, अंदाजा भी नहीं लगा सकते आप

नई दिल्ली: खूबसूरती के नाम पर पेड़ों को रंगीन लाइटों से सजाने का ट्रेंड चल रहा है। लेकिन, इसकी वजह से शीतलता और सुकून देने वाले पेड़ खुद गर्मी में झुलसने पर मजबूर हैं। पर्यावरण कार्यकर्ता इस बढ़ते ट्रेंड के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं। बढ़ती शिकायतों के बाद कुछ जगहों पर वन विभाग ने कार्रवाई भी की है। द्वारका में हाल ही में दस पेड़ों से वन विभाग की टीमों ने लाइटिंग हटवाई है।

जोर पकड़ता जा रहा है यह ट्रेंड
कुछ समय पहले तक यह ट्रेंड शादियों, समारोहों, पार्टियों आदि में नजर आता था। जहां पेड़ों पर कुछ घंटों के लिए लाइटिंग लगा दी जाती थी, लेकिन अब राजधानी को सुंदर दिखाने के नाम पर यह ट्रेंड कई जगहों पर स्थायी रूप से नजर आ रहा है। लाल किले के आसपास, एसपी मार्ग समेत द्वारका में कई जगहों पर बड़ी संख्या में पेड़ों पर लाइटिंग कर दी गई है। इस चलन में अब कारोबारी व शोरूम संचालक भी कूद पड़े हैं। वे लोगों का ध्यान खींचने के लिए अपने शोरूम के आसपास मौजूद पेड़ों पर न सिर्फ लड़ियों वाली लाइटिंग करते हैं, बल्कि पेड़ों पर एलईडी लाइटिंग तक लटका देते हैं।

पेड़ों पर लाइटिंग के क्या हैं नुकसान?
नियमों के तहत पेड़ों पर लाइटिंग लगाना नियमों के खिलाफ है। वन विभाग इसके लिए समय-समय पर निर्देश भी जारी करता है। 2019 में वन विभाग की पश्चिमी डिविजन की तरफ से निर्देश दिए गए थे कि पेड़ों पर किसी तरह का साइन बोर्ड, नाम, ऐड, बोर्ड या बिजली की तारें, हाई टेंशन तारें या अन्य कोई धातु लगाना गैरकानूनी है। 2015 में वन विभाग की तरफ से पब्लिक नोटिस निकाला गया था जिसमें सभी सिविक एजेंसियों, सरकारी विभागों, आरडब्ल्यूए से कहा गया था कि वे पेड़ों साइन बोर्ड, नाम, एड, बोर्ड या साइनेज, बिजली के तार और हाई टेंशन केबल जैसी चीजें हटा लें। ऐसा न करने पर पेड़ों को नुकसान पहुंचाने के लिए 10 हजार रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

अधिकारियों के अनुसार, बिजली के तार आदि लपेटने के बाद जब ये लड़ियां व बड़ी लाइटें जलती हैं तो इनकी वजह से पेड़ों का एक हिस्सा लगातार गर्म होता है। इस गर्मी से पेड़ झुलसने लगते हैं। उनकी कुदरती क्रियाएं जैसे- फोटोसिंथेसिस प्रभावित होती है। इसके अलावा रोशनी वाले पेड़ों को पक्षी भी छोड़ देते हैं। इससे जैव विविधता का भी नुकसान होता है।

शिकायत के बाद एक मामले में हुई कार्रवाई
ग्रीन सर्कल दिल्ली के जॉइंट सेकेट्री विशाल लाल ने 23 जनवरी को द्वारका के एक नामी होटल में करीब दस पेड़ों पर बिजली लाइटें लगाने की शिकायत ट्वीट के अलावा वन विभाग से की थी। इसके बाद 2 फरवरी को वन विभाग की टीमों ने इन दस पेड़ों को रेस्क्यू करवाया और उन्हें लाइटिंग से मुक्त करवाया। विशाल ने बताया कि जब पेड़ों से बिजली की तारें हटाई गईं तो पता चला कि जहां-जहां पेड़ों पर तारें लिपटी थीं, पेड़ वहां से जख्मी हो गए थे। यह कार्रवाई सिर्फ एक जगह हुई है। जबकि द्वारका के रामफल चौक, सेक्टर-12 मार्केट, मॉर्डन बाजार, आयुष्मान चौक आदि पर अभी भी कई पेड़ों पर लाइटें टंगी हुई हैं। जब हम डीडीए के हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट से शिकायत करते हैं तो हमें जवाब मिलता है कि यह काम हमारे अधीन नहीं हैं।

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