कोटा में फिर कोचिंग स्टूडेंट्स की आत्महत्या बना मुद्दा, कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने अपनी ही सरकार को लिया घेरे में
कोटा : देश की कोचिंग सिटी के नाम से मशहूर कोटा दो दिन से फिर सुर्खियों में बना हुआ है। यहां बिहार और मध्यप्रदेश मूल के तीन कोचिंग स्टूडेंट ने एक ही दिन में सुसाइड कर लिया। एक आंकड़ा सामने आया है कि जनवरी 2022 से अब तक करीब 20 छात्र आत्महत्या कर चुके हैं। वहीं पिछले एक माह में इन 3 छात्रों को भी जोड़ा जाए तो कुल 8 छात्र सुसाइड कर चुके हैं। फिर भी कोचिंग संस्थानों पर राज्य सरकार, जिला प्रशासन का कोई कमांड नहीं है। कोचिंग संस्थान के मालिक मोटा पैसा स्टूडेंट से कमा रहे हैं। करीब 38 सौ करोड़ का धंधा कोचिंग संस्थान का कोटा में पनपा हुआ है। 3000 से ज्यादा यहां पर हॉस्टल शहर के आसपास बने हुए हैं। करीब 20,000 से ज्यादा पीजी संचालित हैं।
करीब दो- ढाई लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। ऐसे में कह सकते हैं कि कोचिंग स्टूडेंट यहां एटीएम मशीन बने हुए हैं जिनसे हर कोई कमा रहा है। कोटा में तीन कोचिंग स्टूडेंट ने एक साथ सुसाइड करने के मुद्दे पर कांग्रेस के सांगोद एमएलए भरत सिंह ने भी एक बार फिर अपनी ही सरकार के प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने लिखी कलेक्टर को चिट्ठी
उन्होंने कोटा कलेक्टर ओपी बुनकर को इस संबंध में एक चिट्ठी लिखी है। इसमें लिखा है कि कोटा कोचिंग के लिए पूरे देश में जाना जाता है। बहुत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं यहां कोचिंग लेने सभी प्रदेशों से आते है। यह शहर कोचिंग हब बना गया। कोचिंग देना एक व्यवसाय, लाभकारी धंधा और अच्छे परिणाम प्रदान करने की दौड़ में कोचिंग घराने छात्रों पर भारी दवाब बनाने लगे हैं। इसके चलते आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि छात्रों के आत्महत्या करना, एक कारण पढ़ाई का अधिक दवाब भी है। छात्र की ओर से आत्महत्या करने पर बाद जांच पुलिस के पहुंचती है तो पुलिस ऐसे केसों में एफआर लगा देती है। कोचिंग संस्था की कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है। कुल मिलाकर मामले रफा- दफा हो जाते है। कोचिंग संस्था के राजनैतिक रसूख बहुत मजबूत है और प्रशासन भी इनसे प्रभावित रहता है। क्योंकि बड़ी संख्या में अधिकारी कोटा में केवल बच्चों को कोचिंग के लिए अपनी पोस्टिंग करवाते हैं।
गहलोत सरकार के प्रशासन को एमएलए भरत सिंह ने सुझाव दिया कहा कि पुलिस छात्रों के आत्महत्या करने पर कोचिंग संस्था की भूमिका की जांच करें। प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करे। ताकि ऐसे केसेज में आत्महत्या से सही कारण सामने आ सके और ऐसी घटनाओं को आगे बढ़ावा ना मिले।
रिपोर्ट – अर्जुन अरविंद
Bharat Jodo Yatra: देखिए क्या हुआ… जब कोटा में राहुल से मिलने उमड़ पड़ा छात्रों का सैलाब
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करीब दो- ढाई लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। ऐसे में कह सकते हैं कि कोचिंग स्टूडेंट यहां एटीएम मशीन बने हुए हैं जिनसे हर कोई कमा रहा है। कोटा में तीन कोचिंग स्टूडेंट ने एक साथ सुसाइड करने के मुद्दे पर कांग्रेस के सांगोद एमएलए भरत सिंह ने भी एक बार फिर अपनी ही सरकार के प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने लिखी कलेक्टर को चिट्ठी
उन्होंने कोटा कलेक्टर ओपी बुनकर को इस संबंध में एक चिट्ठी लिखी है। इसमें लिखा है कि कोटा कोचिंग के लिए पूरे देश में जाना जाता है। बहुत बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं यहां कोचिंग लेने सभी प्रदेशों से आते है। यह शहर कोचिंग हब बना गया। कोचिंग देना एक व्यवसाय, लाभकारी धंधा और अच्छे परिणाम प्रदान करने की दौड़ में कोचिंग घराने छात्रों पर भारी दवाब बनाने लगे हैं। इसके चलते आत्महत्या जैसी घटनाएं बढ़ रही है।
उन्होंने कहा कि छात्रों के आत्महत्या करना, एक कारण पढ़ाई का अधिक दवाब भी है। छात्र की ओर से आत्महत्या करने पर बाद जांच पुलिस के पहुंचती है तो पुलिस ऐसे केसों में एफआर लगा देती है। कोचिंग संस्था की कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है। कुल मिलाकर मामले रफा- दफा हो जाते है। कोचिंग संस्था के राजनैतिक रसूख बहुत मजबूत है और प्रशासन भी इनसे प्रभावित रहता है। क्योंकि बड़ी संख्या में अधिकारी कोटा में केवल बच्चों को कोचिंग के लिए अपनी पोस्टिंग करवाते हैं।
गहलोत सरकार के प्रशासन को एमएलए भरत सिंह ने सुझाव दिया कहा कि पुलिस छात्रों के आत्महत्या करने पर कोचिंग संस्था की भूमिका की जांच करें। प्रथम दृष्टया उनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करे। ताकि ऐसे केसेज में आत्महत्या से सही कारण सामने आ सके और ऐसी घटनाओं को आगे बढ़ावा ना मिले।
रिपोर्ट – अर्जुन अरविंद
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