निर्मोही अखाड़ा का अनुरोध- रघुवीर की सेवा करने का अधिकार मिलना चाहिए

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राम मंदिर के ट्रस्ट का निर्माण होने का ऐलान हो गया है। ट्रस्ट में प्रतिनिधित्व न मिलने पर कई संगठन ने नाराजगी व्यक्त की है। तो कई नेता ब्राह्मण और दलित सदस्यों का हवाला देते हुए पिछड़ों को भी सदस्य बनाने की मांग को लेकर. इन सबके बीच अब निर्मोही अखाड़ा ने भी ट्रस्ट के स्वरूप पर आपत्ति जताते हुए ट्रस्ट से रघुवीर की सेवा और पूजा का अधिकार पूर्ण बनाए रखने की गारंटी मांगी है।

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अखाड़े के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा के अनुसार निर्मोही अखाड़े के वैष्णव बैरागी सदियों से रामलला की सेवा करते रहे हैं. इसके लिए वैष्णव बैरागियों ने मुगलों और अंग्रेजों से लड़ाइयां लड़ीं और शहादतें भी दीं। साथ ही उन्होंने यह कहानिर्मोही अखाड़ा 19 फरवरी को होने वाली श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की पहली बैठक में अपनी बात पुरजोर तरीके से रखेगा।

अखाड़े के प्रवक्ता ने भी अपनी राय व्यक्त करते हुए बताया कि वैष्णव बैरागियों के सेवायत अधिकार और उसके हित को सुरक्षित रखने पर सुप्रीम कोर्ट तक में किसी भी पक्ष को कोई आपत्ति नहीं रही है। उन्होंने कहा कि अखाड़े के संतों को सेवा और पूजा की परंपरा की जानकारी भी है और रामलला को लाड लड़ाने का सेवा भाव भी, निर्मोही अखाड़े की पंचायत के महंत दिनेंद्रदास न्यास के सदस्य हैं, लेकिन अखाड़े का मानना है कि उनके लंबे योगदान और भावना को देखते हुए ट्रस्ट में इस पंचायती अखाड़े के प्रतिनिधि सदस्यों की संख्या भी पांच तक होनी ही चाहिए।

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इसके साथ ही निर्मोही अखाड़े ने ट्रस्ट में सदस्य बनाते समय जाति को आधार बनाना काफी गलत है और इस सन्दर्भ में नाराजगी व्यक्त की है। अखाड़े ने कहा है कि जाति के आधार पर ट्रस्ट में पिछड़े-अगड़े, दलित आदि को सदस्य बनाने की परिपाटी से बचना चाहिए था. संतों का यह भी कहना था कि – जात न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान. इसका सीधा तात्पर्य यह है कि जात के आधार पर ट्रस्ट का प्रतिनिधि बनाने का अधिकार नहीं मिलना चाहिए।