World Tuberculosis Day 2023: गांवों से ज्यादा शहरों के लोग टीबी के शिकार, प्रदूषण के कारण धीमी है रिकवरी की रफ्तार

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World Tuberculosis Day 2023: गांवों से ज्यादा शहरों के लोग टीबी के शिकार, प्रदूषण के कारण धीमी है रिकवरी की रफ्तार

World Tuberculosis Day 2023: गांवों से ज्यादा शहरों के लोग टीबी के शिकार, प्रदूषण के कारण धीमी है रिकवरी की रफ्तार


Reported by माधुरी सेंगर | Edited by राघवेंद्र शुक्ला | नवभारत टाइम्स | Updated: 24 Mar 2023, 12:24 pm

World TB Day 2023: गाजियाबाद में टीबी को लेकर एक रिपोर्ट सामने आई है। इसके मुताबिक, गांवों के मुकाबले टीबी के मरीज शहरों में ज्यादा हैं। यहां प्रदूषण के कारण टीबी से रिकवरी भी काफी कम है।

 

World Tuberculosis Day 2023: गांवों से ज्यादा शहरों के लोग टीबी के शिकार, प्रदूषण के कारण धीमी है रिकवरी की रफ्तार
गाजियाबादः उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में ग्रामीण से ज्यादा शहरी इलाके के लोग टीबी (ट्यूबरक्लोसिस) की चपेट में आ रहे हैं। टीबी विभाग से जारी आंकड़ों में ये हैरान कर देने वाली बात सामने आई हैं। इसमें नंबर एक पर खोड़ा इलाका दर्ज किया गया है। यहां हर महीने दो हजार के आसपास केस दर्ज हो रहे हैं। ये पॉश इलाकों से सटा है। वहीं दूसरे नंबर पर राजेंद्र नगर ईएसआईसी सेंटर है, जहां हर महीने 1500 से अधिक केस दर्ज किए जा रहे हैं। तीसरे नंबर पर पसोंडा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ज्यादा पॉपुलेशन और छोटे-छोटे घरों की वजह से इन इलाकों में ज्यादा केस मिल रहे हैं। लोग टीबी को लेकर जागरूक भी नही हैं। जब बात बिगड़ने लगती है, तब इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं, यहां काम करने वाली मेड और अन्य स्टाफ से भी टीबी जल्दी फैल जाती है। क्योंकि कई बार उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं होती कि उन्हें टीबी है। डॉक्टरों का कहना है कि यहां अधिक प्रदूषण की वजह से लोगों की रिकवरी भी तेज़ी से नहीं हो पाती।

50 पर्सेंट मरीज लंग्स वाली टीबी के हैं
पसोंडा टीबी सेंटर इंचार्ज डॉक्टर आरके शर्मा ने बताया कि जिले में 50% मरीज लंग्स टीबी से जुड़े हैं। वहीं, अन्य मरीज़ सामान्य टीबी के हैं। टीबी बालों और नाखून को छोड़कर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकती है। इसमें अगर लापरवाही बरती गई तो एक मरीज़ अपने जैसे 15 से 20 मरीज़ आसानी से बना सकता है। शहर में रिकवरी कम होने का कारण प्रदूषण भी है। क्योंकि प्रदूषण के चलते मरीज़ों को सांस लेने में दिक्कत आती है। यह जानलेवा भी साबित हो जाती है। टीबी कोई सी भी हो दवाइयों और खानपान व साफ-सफाई का ध्यान हमेशा रखना चाहिए। टीबी सेंटर से जुड़े राघवेंद्र चौहान ने बताया कि ज़िले में लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। अब तक 10000 से ज्यादा टीबी मरीज़ों को निजी संस्थाओं की मदद से गोद लिया जा चुका है।

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