बद्रीनाथ मंदिर में शंख क्यों नहीं बजाया जाता?

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बद्रीनाथ मंदिर में शंख क्यों नहीं बजाया जाता?
बद्रीनाथ मंदिर में शंख क्यों नहीं बजाया जाता?

लोग बद्रीनाथ मंदिर में श्रद्धा और भक्ति के लिए जाते है. बद्रीनाथ चारों धामों में से एक है इसलिए यहां पर लोगों की काफी भीड़ दिखाई देती है. शायद ही कुछ ऐसे लोग होंगे जो चारों घाम में सर्वश्रेष्ठ कहे जाने वाले बदरीनाथ में शंख नहीं बजाया जाता? अगर बात भगवान विष्णु की पूजा को लेकर हो तो शंख बजाना जरूरी होता है. या फिर यू कहें कि शंख विष्णु जी की पूजा का हिस्सा माना जाता है.

बद्रीनाथ धाम की यात्रा तो बहुत से लोगों ने की होगी लेकिन क्या कभी इस बात पर गौर किया है कि इस मंदिर में शंख क्यों नहीं बजता? भारत के सभी मंदिरो में शंख बजाने की प्रथा है, लेकिन केवल एक बद्रीनाथ ही ऐसा धाम है जहाँ कभी शंख नहीं बजता.

वहीं, शंख नहीं बजाने के पीछे धार्मिक मान्‍यताएं में यह कहा जाता है कि मां लक्ष्मी जब तुलसी के रुप में बद्रीनाथ धाम में तपस्या कर रही थीं, तो उसी दौरान भगवान विष्णु ने शंखचूड़ राक्षस का वध किया था. मां लक्ष्मी को शंखचूड़ राक्षस का स्मरण न हो, इस कारण यहां शंख नहीं बजाया जाता है.

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जब केदार इलाके में महर्षि अगस्त्य दैत्यों के डर से आतापी और बातापी राक्षस भाग गए थे. आतापी मंदाकिनी नदी में और बातापी बद्रीनाथ धाम में शंख के अंदर छिप गया था. ऐसा कहा जाता है कि शंख को बजाने से ये दोनों ही राक्षस बाहर आ जाएंगे.

वैज्ञानिक का मानना है कि बद्रीनाथ में शंख नही बजाने के पीछे वहां का इलाका है. क्योंकि इसका अधिकांश हिस्सा बर्फ से ढका रहता है. और शंख से निकली ध्वनि पहाड़ों से टकरा कर प्रतिध्वनि पैदा करती है. जिसकी वजह से बर्फ में दरार पड़ने व बर्फीले तूफान आने की आशंका रहती है.

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